दास्तान-ए-अश्क - 27

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"मुझे मेरी उम्मीद से ज्यादा मिला अय जिंदगी अब कभी मुस्कुराने की गुस्ताखी नहीं करनी मुझे..? "मैडम जी आप कहां हो..?" रज्जो की आवाज सुनकर उसका दिल उछल पड़ा! अपनी बेड से वह संभलकर उठी! पास ही बैठी गुड़िया ने ममा का हाथ पकड़ लिया! अपनी मां के पास बैठा सारंग दरवाजा खोलता उससे पहले तो अपने हाथों से डोर खोलकर रज्जो घर में आ गई! सामने दीवार के सहारे खड़ी अपनी मैडम को देख कर वो अवाक रह गई! यह कैसे हो गया? उसे अपनी आंखों पर यकिन नहीं हुवा! करीब आकर रज्जो ने मैडम जी के बाजुओं को