तब राहुल सांकृत्यायन को नहीं पढ़ा था - 4

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उसके पिता उस समय गाँव में नहीं थे। अपने बैंक की ओर से ऑडिट करने वे बक्सर तरफ़ के गाँवों में थे। रात भर में ही लाली देवी की हालत ऐसी हो गई जैसे उसका दस किलो वज़न घट गया हो। लोग उसको समझाते रहे, बाक़ी बच्चों को उनके पास लाते रहे, मगर वह कभी तेज़ तो कभी धीमे स्वर में लगातार रोए जा रही थी। वह किसी भी तरह अनुरंजन का चेहरा देखना चाह रही थी। पूरा गाँव बारी-बारी से उन्हें समझाता रहा, मगर पुत्र-वियोग में वे अपना सुध-बुध खो चुकी थीं।