तब राहुल सांकृत्यायन को नहीं पढ़ा था - 3

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भाषा के भिन्न-भिन्न लहजों और लोगों की भागम-भाग के बीच एक नए माहौल में स्वयं को तैयार करता अनुरंजन अपने अगले कदम की तैयारी कर ही रहा था कि सहसा उसे अपने कंधे पर किसी की हथेली का स्पर्श हुआ। उसने गर्दन घुमाकर पीछे देखा। प्लेटफॉर्म पर मिला यह वही वृद्ध था। इस समय, उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान थी जो एक विजेता की हँसी में बदल रही थी। और, वह अकेला नहीं था। उसके दाएँ-बाएँ दो-दो मुस्टंडे खड़े थे।