पांच दिन

(87)
  • 8.3k
  • 10
  • 4.5k

सड़कों पर गाड़ियों की लंबी लाइन लगी हुई थी , लोग जल्दी जल्दी में अपने काम पर जा रहे थे , बच्चे स्कूल जा रहे थे, किसी को इतनी फुर्सत नहीं थी कि किसी से कोई बात कर ले l शहरों में सुबह से शाम तक यही माहौल रहता है पर वरदान इस मुंबई शहर की भागदौड़ भारी ज़िन्दगी से बिल्कुल अलग था, वो मुंबई में 4 साल से अकेला रहता है, एकदम मस्त, बिंदास l सुबह के 9:30 बज गए थे, सारा सामान कमरे में फैला पड़ा था, घड़ी का अलार्म बजा जा रहा था और वरदान टांगे फैला