मर गया पत्थर-दिल इन्शान( यह लेख लेखक के जीवन में घटित विभिन्न घटनाओं , लेखक के भीतर व्याप्त भय और भ्रम के विभिन्न दृश्यों को चित्रत करता है । लेखक का उद्देश्य किसी भी व्यक्ति या सम्प्रदाय को ठेस पहुंचाना नही है , यहाँ पर लेखक मात्र अपने विचार और स्वयं के जीवन में आने वाले बदलाव का चित्रण करना चाहता है । )रोज की तरह उस दिन भी मैं अपने स्कूल की आखरी घण्टी के बाद क्लास से निकला फिर साइकिल स्टैंड से साइकिल निकाली और घर के लिए चल पड़ा । विद्द्यालय के गेट से कुछ दूर पर