कठिन पथ पर कैसे बढ़ें

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उड़ने लगे धूल कण जब, पैर पथ पर बढ़ चले।हो बिछे कंट पथ पर, कठिनाइयां चाहे मिले।ध्येय ज्वाला जला हृदय में, नित्य आगे बढ़ चले।सफल परिश्रम हो हमारा,नित्य पथ अवलोकन करें।साथियों,    जब कभी हम अपने लक्ष्य को निश्चित कर उसकी ओर सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए बढ़ते है तो प्रथम कदम से ही हमें समस्याओं का सामना करना पड़ता है, धूल रूपी समस्याएं हमारा मार्ग औझल करती है यदि हम दृढ़ता से और धैर्य के साथ अपने लक्ष्य के प्रति प्रारम्भिक ललक बनाएं रख आगे बढ़ते जाते है तो वह औझलता भी समय के साथ समाप्त हो जाती है।इस प्रकार