स्नेही दोस्तों, मुहब्बत के अनछुए पल जो जीवन के हर मोड़ पर, हर घड़ी हमारी यादों में घर बनाए रहते हैं, उनकी भीनी भीनी खुशबू से हम हमेशा महकते रहते हैं।आपकी उन्हीं यादों में लिपटी हुई पंक्तियाँ आपके लिए.... १- "क्यूँ याद आने लगी हो" जमीं आसमाँ पर तुम्हीं तुम हो छाई, पुरानी दीवारों पर रंगत है आई, सुबह शाम हरपल सताने लगी हो, मेरी जान क्यूँ याद आने लगी हो।। सनम जब मिले थे, नए गुल खिले थे, अंधेरे से मन में भी,जुगनू