सातवां होल

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शाम चार बजते ही रिटायर्ड लेफ्टिनेन्ट कर्नल केशव शर्मा पांच किलोमीटर सायकिल चला कर गोल्फकोर्स पर आ डटते हैं। हालांकि अब खेलते कम हैं, शरीर में पुराना दम – खम बाकी रहा न नज़र में वो पैनापन। उमर के असर से हाथों में भी हल्का - सा कंपन रहता है। कभी वो गोल्फ के शातिर खिलाड़ी थे। अब नौसिखिये गोल्फरों में अपना अनुभव निशुल्क बांटते हैं। कई बार किसी के आग्रह करने पर, कई बार किसी के बिना मांगे‚ बिना पूछे। ये नौसिखुए लोग उनका बहुत सम्मान करते हैं। विशिष्ट सेवा मैडल प्राप्त इन लेफ्टिनेन्ट कर्नल महाशय का पूरा जीवन फौज और गोल्फ की नज़र ही हो गया। अब सत्तर साल के हो गये हैं पर उनकी उस फौजी कसावट – बुनावट के चलते जीवन में व्यायाम, अनुशासन और गोल्फ के प्रति मोह अब भी बाकी है।