उज्वला की कहानी

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रक्षाबंधन का दिन था .. सुबह का काम जल्दी निपटाकर उज्वला राखी लेकर अपने मायके निकल पडी | भैय्या कही बाहरगाव जा रहे थे इसलिये उन्होने जल्दी बुलाया था उसको | जैसे ही वो वहां पहुची भाभीने दरवाजा खोला ..और बिना कुछ बात कीये अंदर चली गयी| उज्वला को समझ नही आया अब क्या करे ? भाभीने तो अपनी नाराजी दिखा दि थी..इसका मतलब अंदर नही जाना था | वो चुप चाप बाहर बैठी रही| अंदर से बच्चे बाहर आये तो वो उससे लिपट गये और उससे बाते करने लगे | उन्हे गोदमे लेते उज्वला को बहोत अच्छा लग रहा