बेवजह... भाग ५

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अब तक...ठक ठक की आवाज़ स सरला जाग गयी, सरला समझ गयी कि दरवाज़े पर ठाकुर होगा... मारे घबराहट के सरला पसीने मैं लटपट होचुकीथी, सरला वही घबराहट के मारी बैठी रही, सरला की हिम्मत ही नही हो रही थी की दरवाजे को खोल सके...ठाकुर के आदमियों ने दरवाजा तोड़ दिया... सरला वही सामने बैठी हुई थी, ठाकुर दरवाजा टूटते ही अंदर आया और सरला के करीब आकर उसने कहा... किधर है थारी छोरी..."सरला ने उसपर हँसकर जवाब दिया... दूर इस पाप की नगरी से बहोत दूर चली गई वो"..."यह सुनते ही ठाकुर ने सरला को कसके तमाचा मारा और सरला