वो बेकसूर..

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ये खुदा तेरे बनाए इंसान से, अब इंसानियत बहुत दूर है।अब इन्हें इंसानियत पर नहीं, हैवानियत पर गुरूर है।बचे हैं जो कुछ इंसा यहां, क्या उनका इंसान होना कुसूर है।फिर क्यों मिला है दर्द जमाने से उन्हें, बता मेरे खुदा_ वो जो बेकसूर हैं।।?क्या हो गया इन दुनिया वालों को, हा मै उन दुनिया वालों की बात कर रहा हूं। जहां के लोग एक नई दुनिया की खोज कर चुके हैं।हा मै उन समझदार दुनिया वालों की बात कर रहा हूं, जिनकी समझ ने सारी दुनिया ही बदल दी।मगर अफसोस बदलते- बदलते इंसान इतना बदल गया कि कई हद तक