शिकंजा

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यही कोई दो- पांच साल हुए हैं जब इस गांव में भी बीसवीं सदी ने पांव धरे हैं। बच्चों के लिए छोटी सी पाठशाला बन गई है। बरसों से मास्टरजी का छोकरा घनश्याम नीम के नीचे ही चलाता था अपना छोटा सा मदरसा।अब ईंट चूने की इमारत वाला स्कूल बन गया है।सरकारी मास्टर लोग भी