हिम स्पर्श - 32

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“गेलिना जी, यह मेरा सौभाग्य है कि आप यहाँ हो।“ जीत ने गेलिना का स्वागत किया। “यह तो मेरा सौभाग्य है कि भारत जैसे अदभूत देश को देखने का मुझे अवसर मिला है. कच्छ प्रदेश को भी। वास्तव में भारत भ्रमण की मेरी योजना थी ही। तुम्हारा आमंत्रण मिला और मैं यहाँ दौड़ी चली आई।“गेलिना भी उत्साह से भरी थी। गेलिना झूले पर बैठ गई और जीत के घर को देखने लगी। वह मन ही मन बोली,”यहाँ से अथवा…” गेलिना झुले से उठी इधर उधर घूमी। दीवार के समीप, झूले से आठ दस फिट की दूरी पर एक स्थान पर