स्वाभिमान - लघुकथा - 53

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सुनो लड़के! जरा इस गार्डन की साफ़-सफाई कर दोगे? कितने पैसे लोगे?” बाहर गली में कबाड़ वाले लड़के की आवाज सुनकर रजनी बाहर आई.