यह कोई उस समय की बात है जब मैं नवी कक्षा का छात्र था। किराये के जिस मकान में हम रहते थे वहाँ से मेरा स्कूल कोई डेढ़-दो किलोमीटर की दूरी पर था। स्कूल उस समय ज्यादातर विद्यार्थी पैदल ही आया-जाया करते थे। कुछ के पास साइकिलें थी। तब सड़कों पर इतनी भीड़-भाड़ तथा ट्रैफिक नहीं था जितना कि आज देखने को मिलता है। स्कूल का समय प्रातः 9 बजे से सायं 4 बजे तक था। उस दिन अच्छी धूप खिली हुई थी जो एक सुखद अनुभव दे रही थी। छुट्टी की घंटी बजते ही छात्र कक्षाओं से शोर मचाते