अगर सड़क सीधी हो......... बिलकुल सीधी तो इस पर उस के क़दम मनों भारी हो जाते थे। वो कहा करता था। ये ज़िंदगी के ख़िलाफ़ है। जो पेच दर पेच रास्तों से भरी है। जब हम दोनों बाहर सैर को निकलते तो इस दौरान में वो कभी सीधे रास्ते पर न चलता। उसे बाग़ का वो कोना बहुत पसंद था। जहां लहराती हुई रविशें बनी हुई थीं।