जमीला को पहली बार महमूद ने बाग़-ए-जिन्नाह में देखा। वो अपनी दो सहेलियों के साथ चहल-क़दमी कर रही थी। सब ने काले बुर्के पहने थे। मगर नक़ाबें उलटी हुई थीं। महमूद सोचने लगा। ये किस क़िस्म का पर्दा है कि बुर्क़ा ओढ़ा हुआ है। मगर चेहरा नंगा है आख़िर इस पर्दे का मतलब क्या महमूद जमीला के हुस्न से बहुत मुतअस्सिर हुआ।