क्षितिज

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कहने को तो बहुत कुछ था आकाश के पास पर शायद धरा के पास ही वक्त की कमी थी। आज तीन साल हो गये थे आकाश को पर धरा आज भी सबके सामने उसके प्यार का मजाक बना मुस्करा कर गुजर जाती हैं ।धरा रखती तो अपने कदम जमीन पर ही है पर आकाश को ऐसा लगता था । जैसे धरा का एक एक कदम उसके दिल की दहलीज को लहूलहान कर देता है। आकाश की धुंधली आंखो मैं एक बार फिर तीन साल पुराने मंजर का साया लहरा गया था। कालेज के पहले दिन बेफ्रिक आकाश अपनी मोटरसाइकिल स्टैंड पर लगाने ही वाला था। तभी धरा तूफान की तरह अपनी स्कूटी के साथ आकाश से ज