शहर के शोर-गुल से दूर, समंदर किनारे बसे छोटे से टाउन में कियारा की ज़िंदगी रुक-सी गई थी। होटल में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी उसके लिए रोज़ का वही घिसा-पिटा रुटीन लेकर आती थी—मुस्कुराकर “गुड मॉर्निंग” कहना, रजिस्टर में नाम दर्ज करना और मेहमानों के सवालों का जवाब देना। बाहर से सब कुछ सामान्य लगता, मगर अंदर से कियारा के मन में खालीपन था। कियारा अक्सर सोचती—क्या यही ज़िंदगी है? सिर्फ़ ज़िम्मेदारियाँ, और सपनों की यादें जो कहीं खो गई हैं? उसने बचपन से ही लिखने का शौक रखा था। डायरी में कहानियाँ, कविताएँ और अधूरी कल्पनाएँ भरती रहती थी। मगर मां-बाप के गुजर जाने के बाद छोटे भाई की ज़िम्मेदारी उसी के कंधों पर आ गई थी। यही वजह थी कि होटल की नौकरी उसके लिए सिर्फ़ काम नहीं बल्कि जीने का सहारा बन गई थी।
तेरा मेरा सफ़र - 1
Ep1 – अनकही शुरुआतशहर के शोर-गुल से दूर, समंदर किनारे बसे छोटे से टाउन में कियारा की ज़िंदगी रुक-सी थी। होटल में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी उसके लिए रोज़ का वही घिसा-पिटा रुटीन लेकर आती थी—मुस्कुराकर “गुड मॉर्निंग” कहना, रजिस्टर में नाम दर्ज करना और मेहमानों के सवालों का जवाब देना। बाहर से सब कुछ सामान्य लगता, मगर अंदर से कियारा के मन में खालीपन था।कियारा अक्सर सोचती—क्या यही ज़िंदगी है? सिर्फ़ ज़िम्मेदारियाँ, और सपनों की यादें जो कहीं खो गई हैं? उसने बचपन से ही लिखने का शौक रखा था। डायरी में कहानियाँ, कविताएँ और अधूरी कल्पनाएँ भरती रहती ...और पढ़े
तेरा मेरा सफ़र - 2
अगली सुबह कियारा हमेशा की तरह होटल पहुँची तो माहौल कुछ अलग ही था। रिसेप्शन लॉबी फूलों की खुशबू हल्की-सी भागदौड़ से भरी थी। स्टाफ कॉन्फ्रेंस की तैयारियों में जुटा हुआ था। हर किसी के चेहरे पर हल्की-सी घबराहट और उत्साह साफ़ झलक रहा था।कियारा ने रिसेप्शन काउंटर सँभालते हुए अपनी साँसों को स्थिर करने की कोशिश की। पर दिल में एक अजीब-सा खिंचाव था—शायद रिया से मुलाक़ात के बाद मन में उठी नई उम्मीदें अब उसे हर चीज़ में कोई इशारा खोजने पर मजबूर कर रही थीं।दोपहर तक कुछ मेहमान आ चुके थे। कियारा हर बार की तरह ...और पढ़े
तेरा मेरा सफ़र - 3
संध्या का समय था, हल्की ठंडी हवा और समंदर की लहरों की आवाज़ हर ओर फैली हुई थी। कियारा के बाद थोड़ी थकी हुई थी, लेकिन मन में हल्की उत्सुकता लिए पास के बीच पर आई। रेत पर चलती उसकी नज़रें लहरों की चमक और दूर तैरते बच्चों पर टिक गईं। समंदर की ठंडी हवा उसे हमेशा से सुकून देती थी, जैसे सारी थकान बहा दी गई हो।“अरे, ये यहाँ?” कियारा की आँखें उठीं और उसने देखा कि आदित्य पहले से वहाँ खड़ा था। हाथ में पानी की बोतल, चेहरे पर हल्की मुस्कान और नज़रें बिल्कुल सहज।(क्योंकि आदित्य ने ...और पढ़े
तेरा मेरा सफ़र - 4
अगली सुबह होटल में हल्की हलचल थी। कॉन्फ़्रेंस के लिए मेहमान आ रहे थे, स्टाफ तैयारी में जुटा हुआ कियारा ने रिसेप्शन संभाला, लेकिन उसका मन पिछली शाम की beach की मुलाक़ात में ही उलझा हुआ था। आदित्य की बातें और अयान के बारे में उसकी तारीफें बार-बार उसके दिमाग़ में घूम रही थीं।लॉबी की हल्की हलचल में कियारा ने देखा कि अयान सीधे अपने ऑफिस की तरफ जा रहे थे। कोई booking, कोई formalities नहीं—बस उनकी calm और confident presence ही सबका ध्यान खींच रही थी।कियारा का दिल अनायास तेज़ धड़क गया। आदित्य की बातें उसकी याद में ...और पढ़े
तेरा मेरा सफ़र - 5
रात की कॉन्फ़्रेंस के बाद होटल की हलचल धीरे-धीरे थम चुकी थी। लॉबी की रोशनी अब mellow हो चुकी और सिर्फ़ बाहर से आती समंदर की ठंडी हवा शांति में अपनी सरसराहट घोल रही थी। कियारा ने रिसेप्शन काउंटर से अपना काम समेटा, लेकिन उसका मन अब भी दिनभर की छोटी-छोटी बातों में उलझा हुआ था। सबसे ज़्यादा उसकी सोचों में अयान का चेहरा और उनकी calm presence थी।दिनभर उन्होंने ज़्यादा बातचीत नहीं की थी, फिर भी कियारा को लग रहा था जैसे उसने उनके बारे में बहुत कुछ जान लिया हो। उनकी subtle मुस्कान, confident gestures, और हर ...और पढ़े
तेरा मेरा सफ़र - 6
Ep 6 – अनकहे एहसास और पहली नज़रअगली सुबह होटल की लॉबी में हल्की हलचल थी। कॉन्फ़्रेंस के लिए मेहमान आ चुके थे, और स्टाफ पूरी तरह ready था। कियारा ने अपनी शिफ्ट संभाली, लेकिन उसके मन में अब भी पिछली रात की हल्की दस्तकें गूंज रही थीं। आदित्य की बातें और अयान की calm presence बार-बार उसकी याद में आती रही।लॉबी की बड़ी खिड़कियों से सुबह की धूप हल्की-हल्की झलक रही थी। कियारा ने notices किया कि अयान अपने office से बाहर आए। उनका calm walk, straight posture और focused नजरें—सब कुछ जैसे अपने आप में एक aura ...और पढ़े
तेरा मेरा सफ़र - 7
अगले दिन सुबह, होटल में usual कामकाज जारी था, लेकिन कियारा का ध्यान किसी और ओर भटकता जा रहा हर बार जब अयान की आवाज़ इंटरकॉम पर सुनाई देती, या वो लॉबी से गुजरते, तो कियारा के दिल की धड़कन एक लय तोड़ देती।वो समझ नहीं पा रही थी कि ये सब सिर्फ admiration है या कुछ ज़्यादा गहरा।काउंटर पर files संभालते हुए उसने देखा, अयान conference hall की ओर बढ़ रहे थे। उनके कदम confident थे, पर उनकी आँखों में हमेशा की तरह एक ठहराव था — जैसे वो अपने अंदर बहुत कुछ छिपाए हुए हों।कियारा की नज़रें ...और पढ़े
तेरा मेरा सफ़र - 8
अगली सुबह होटल के conference hall में activity तेज़ थी। Event meeting का दिन था — और आज कियारा अयान के साथ बाहर जाना था।उसने mirror में खुद को आख़िरी बार देखा — सादगी में सलीका, और आँखों में हल्का nervous excitement।“Professional रहना है, बस काम पर ध्यान देना है,” उसने खुद से कहा, पर दिल कुछ और ही सोच रहा था।अयान हमेशा की तरह punctual थे। “Ready?” उन्होंने संक्षिप्त मुस्कान के साथ पूछा।कियारा ने सिर हिलाया, “Yes, sir.”दोनों साथ लिफ्ट से नीचे उतरे। रास्ते भर हवा में हल्की खामोशी थी, पर वो खामोशी अजीब नहीं लग रही थी ...और पढ़े
तेरा मेरा सफ़र - 9
अगली सुबह कियारा जल्दी उठ गई थी। कमरे में खिड़की से आती धूप हल्के परदे के पार उसकी डायरी गिर रही थी — वही डायरी जिसमें पिछली रात उसने लिखा था,> “कुछ नज़रें बोलती नहीं, पर सब कह जाती हैं…”वो पन्ना अब भी खुला था, पर कियारा के मन में सवालों की भीड़ थी।क्या अयान भी कुछ महसूस कर रहे थे? या वो सिर्फ़ उसकी कल्पना थी?वो मुस्कुराई, फिर खुद से बोली, “नहीं कियारा… तुम बस ज़्यादा सोच रही हो।”ब्रेकफास्ट हॉल में जब वो पहुँची, अयान पहले से मौजूद थे। सफ़ेद शर्ट, घड़ी की चमक, और वही शांत नज़रिया ...और पढ़े
तेरा मेरा सफ़र - 10
अगले दिन होटल का माहौल फिर से usual था — guests, check-ins, calls… लेकिन कियारा का ध्यान बार-बार भटक था। उसका ध्यान अयान पर ही जा रहा था।पिछली शाम की यादें अब भी उसके दिल में ठहरी थीं — वो बारिश, वो खामोशी, और वो एक नज़र जो सब कह गई थी।कॉफी मशीन के पास खड़ी वो सोच रही थी — “क्या मैं ही ज़्यादा सोच रही हूँ? शायद अयान के लिए वो बस एक normal moment रहा होगा…”पर फिर दिल ने धीरे से कहा, “लेकिन जो महसूस हुआ, वो झूठ तो नहीं था।” इन सब बातों को वो ...और पढ़े
तेरा मेरा सफ़र - 11
अगली सुबह होटल में हल्की-सी ठंडक थी। बारिश थम चुकी थी, पर हवा में अब भी वही नमी थी जैसे बीती रात की बातों की यादें अब भी तैर रही हों।कियारा ने रिसेप्शन काउंटर संभालते हुए खुद को busy रखने की कोशिश की, पर हर कुछ मिनटों में उसका ध्यान भटक ही जाता।हर बार जब किसी ने अयान का नाम लिया, उसका दिल हल्का-सा धड़क उठता।“कियारा,” पीछे से आई आवाज़ ने उसे चौंका दिया।अयान सामने खड़े थे — हमेशा की तरह calm, पर उनकी आँखों में आज कुछ अलग था।“Sir?” उसने मुस्कुराने की कोशिश की।“आज एक special guest आ ...और पढ़े
तेरा मेरा सफ़र - 12
अगले दिन होटल में हल्की सी गहमागहमी थी — वही आवाज़ें, वही काम, पर दोनों के दिलों में कुछ था।कियारा ने कोशिश की कि खुद को सामान्य दिखाए, मगर हर बार जब अयान सामने आते, उसकी साँसें जैसे थम जातीं।उसे लगता था, उनकी हर नज़र अब कुछ कहती है — कुछ ऐसा जो लफ़्ज़ों से नहीं, एहसासों से महसूस होता है।कॉफी मशीन के पास खड़ी कियारा सोच रही थी, “क्या सच में वो भी कुछ महसूस करते हैं? या ये सिर्फ़ मेरा वहम है…”तभी पीछे से अयान की आवाज़ आई —“कॉफी… ब्लैक, बिना शुगर?”वो पलटकर मुस्कुराई, “आपको याद है?”अयान ...और पढ़े
तेरा मेरा सफ़र - 13
सुबह की धूप कमरे के परदों से छनकर भीतर आ रही थी। होटल की हलचल शुरू हो चुकी थी, कियारा का मन आज कुछ ज़्यादा बेचैन था।रात की वो नज़रें, वो ख़ामोशी — सब अब भी उसकी धड़कनों में गूँज रहे थे। उसने खुद से कहा, “नहीं कियारा, ये सब दिमाग़ से निकालना होगा… ये feelings तेरा ध्यान भटका देंगी।”लेकिन दिल कब किसी की सुनता है?उधर, अयान अपने कमरे में files देखकर भी खोए हुए थे। उनके दिमाग़ में काम था, पर दिल उसी एक मुस्कान में अटका था — जो कियारा ने कल terrace से ऊपर देखकर दी ...और पढ़े
तेरा मेरा सफ़र - 14
अगले दिन होटल में हल्की ठंडक थी, पर कियारा के भीतर कुछ और ही चल रहा था।पिछली रात की नज़रें, वो मुस्कान — जैसे उसके दिल के किसी कोने में अब घर बना चुकी थीं।वो खुद से कहती रही, “ये बस attraction है… professional रहो कियारा।”पर दिल, दिल ही तो है — वो तर्क नहीं, बस एहसास समझता है।सुबह की मीटिंग खत्म होते ही अयान ने कहा,“कियारा, आज थोड़ी देर के लिए terrace पर चल सकते हो? कुछ discuss करना है।”वो चौंकी — Terrace? और वो भी अकेले?फिर धीरे से बोली, “Sure, sir.”टैरेस पर हवा में हल्की ठंडक थी।सामने ...और पढ़े
तेरा मेरा सफ़र - 15
अगली सुबह होटल की बालकनी पर धूप हल्की थी, पर कियारा के भीतर कुछ अनजाना उजाला था।वो चाहकर भी terrace वाले पल को भुला नहीं पा रही थी — अयान की वो बातें, वो नज़रे, जो जैसे कुछ कह रही थीं और फिर भी चुप थीं।काम के बीच वो बार-बार वही ख्याल पकड़ लेती — “क्या सच में उन्होंने भी कुछ महसूस किया था? या मैंने ही ज़्यादा सोचा?”हर बार जब अयान उसके पास आते, उसकी नब्ज़ जैसे रुक जाती।उस दिन दोपहर को hotel management team का outdoor lunch था।हवा में हँसी थी, पर दोनों की आँखों में वही ...और पढ़े
तेरा मेरा सफ़र - 16
अगली सुबह होटल में हल्की रौनक थी, पर कियारा के मन में सब कुछ ठहरा हुआ लग रहा था।पिछली की वो बात — “मुझे अब silence में भी तुम्हारी आवाज़ सुनाई देती है” — बार-बार उसके दिल में गूंज रही थी।क्या वो एक इज़हार था? या बस एक लम्हे की सच्चाई?वो समझ नहीं पा रही थी, पर दिल में कहीं एक सुकून था — जैसे उसका इंतज़ार अब दिशा पा चुका हो।ब्रेकफ़ास्ट के बाद, अयान ने सबको कुछ मीटिंग पॉइंट्स दिए और फिर सीधे अपने केबिन में चले गए।कियारा ने फाइल्स लेकर दरवाज़े पर दस्तक दी।“May I come in, ...और पढ़े
तेरा मेरा सफ़र - 17
सुबह की हल्की धूप परदे से झाँक रही थी। होटल के कॉरिडोर में वही रोज़ की रौनक थी, पर कियारा को हर चीज़ अलग लग रही थी — जैसे सबकुछ वैसा ही था, मगर उसका दिल बदल गया था।वो कॉफ़ी मशीन के सामने खड़ी थी, पर उसकी सोच अब भी पिछली रात में अटकी हुई थी — “मुझे नहीं पता ये क्या है… लेकिन तुम्हारे बिना अब ये जगह अधूरी लगती है।”उस एक लफ़्ज़ ने उसकी दुनिया बदल दी थी।कॉफ़ी का कप हाथ में लिए वो लॉबी की खिड़की के पास चली गई। बाहर बारिश के कुछ बूँदें अब ...और पढ़े
तेरा मेरा सफ़र - 18
सुबह होटल की लाइट्स धीरे-धीरे बुझ रही थीं, लेकिन कियारा के भीतर जैसे कोई नई रौशनी जल उठी थी।वो पर बैठी खिड़की से बाहर देख रही थी — रात की बारिश ने आसमान को साफ कर दिया था।हवा में एक ताजगी थी, जैसे हर चीज़ नए आरंभ की बात कर रही हो।कल की सारी बातें अब भी उसके मन में गूंज रहीं थीं —“अगर मैं हूँ, तो तुम्हारी मुस्कान भी होगी।”वो लफ़्ज़ किसी वादे जैसे थे — कोमल, पर सच्चे।लेकिन सच्चे वादों के साथ हमेशा एक डर भी आता है।कियारा के दिल में वही डर था — क्या ये ...और पढ़े
तेरा मेरा सफ़र - 19
तीन महीने बीत चुके थे।होटल वही था, लहरें वही थीं, लेकिन कियारा की ज़िंदगी में सब कुछ बदल गया हर सुबह वो अयान के बिना शुरू होती और उसी की याद पर खत्म।वो अब भी वही कॉफ़ी मशीन इस्तेमाल करती थी, वही टेरेस पर जाती थी — पर अब वहाँ सिर्फ़ खामोशी उसका साथ देती थी।उसकी डायरी के पन्ने अब शब्दों से ज़्यादा इंतज़ार से भरे थे।हर पन्ने पर बस एक ही सवाल लिखा होता — “कब लौटेंगे आप?”हर हफ्ते अयान का एक ईमेल आता था — छोटा, लेकिन सुकूनभरा।“यहाँ का मौसम तुम्हारे शहर जैसा नहीं… पर हर सुबह ...और पढ़े
तेरा मेरा सफ़र - 20
छह महीने बीत चुके थे। वही होटल, वही लॉबी, वही पुरानी खिड़की — मगर कियारा अब कुछ और थी।वो सिर्फ़ टीम की एक जूनियर मैनेजर नहीं, बल्कि खुद पर यक़ीन रखने वाली औरत थी।अयान के जाने के बाद उसने बहुत कुछ सीखा — इंतज़ार को संभालना, खामोशियों को समझना, और अपने एहसासों को मज़बूती में बदलना।वो हर दिन अपने काम में दिल लगाती, क्योंकि अयान ने कहा था —> “अगर मैं हूँ, तो तुम्हारी मुस्कान भी होगी।”और शायद उसी मुस्कान ने उसे हर मुश्किल में संभाले रखा।एक शाम होटल के लॉबी में एक नई टीम आई। सबके बीच जब ...और पढ़े