मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है

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दो दुनियाओं का पहला टकराव मुंबई… यह शहर कभी नहीं सोता। अनगिनत सपनों को अपनी पनाह में लिए, और लाखों जिंदगियों की भाग-दौड़ का गवाह। इसी शहर की हलचल से दूर, एक शांत और पुरानी गली में, मेहरा परिवार का आशियाना था। घर भले ही बहुत बड़ा न हो, लेकिन हर ईंट में अपनत्व और हर कोने में मोहब्बत की गर्माहट महसूस होती थी। मेहरा परिवार का आशियाना प्रमोद मेहरा, अपनी चालीस से कुछ ज़्यादा उम्र के साथ, एक जिम्मेदार और मेहनती इंसान थे। वे 'राजवंश कॉर्पोरेशन' में एक मिड-लेवल मैनेजर थे। उनकी नौकरी स्थिर थी, लेकिन काम का दबाव और परिवार की जिम्मेदारियों का बोझ उन्हें अक्सर थका देता था। फिर भी, वे अपने चेहरे पर हमेशा मुस्कान रखते थे।

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 1

मेरे इश्क में शामिल रूहानियतएपिसोड 1: दो दुनियाओं का पहला टकरावमुंबई… यह शहर कभी नहीं सोता। अनगिनत सपनों को पनाह में लिए, और लाखों जिंदगियों की भाग-दौड़ का गवाह। इसी शहर की हलचल से दूर, एक शांत और पुरानी गली में, मेहरा परिवार का आशियाना था। घर भले ही बहुत बड़ा न हो, लेकिन हर ईंट में अपनत्व और हर कोने में मोहब्बत की गर्माहट महसूस होती थी।मेहरा परिवार का आशियानाप्रमोद मेहरा, अपनी चालीस से कुछ ज़्यादा उम्र के साथ, एक जिम्मेदार और मेहनती इंसान थे। वे 'राजवंश कॉर्पोरेशन' में एक मिड-लेवल मैनेजर थे। उनकी नौकरी स्थिर थी, ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 2

मेरे इश्क़ में शामिल रूहानियत हैएपिसोड 2 : "दिल की अनकही दस्तक"मुंबई की सुबह हमेशा भागदौड़ भरी होती है।ट्रैफिक शोर, लोकल ट्रेनों की सीटी और भागते लोग… लेकिन आज सुबह कुछ लोगों की ज़िंदगी में यह शोर पीछे छूट गया था, क्योंकि उनके दिलों में कुछ और ही गूँज रहा था।---अनाया की बेचैनीपिछले दिन की घटना बार-बार अनाया के दिमाग़ में घूम रही थी।वह जब भी आँखें बंद करती, उसे आर्यन की ठंडी लेकिन गहरी नज़रें याद आ जातीं।“क्यों मुझे ऐसा लग रहा है कि उनकी नज़रें मुझे पढ़ रही थीं…? मैंने ऐसा क्यों महसूस किया कि जैसे ये ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 3

मेरे इश्क़ में शामिल रूहानियतएपिसोड 3 : "रूहों का रिश्ता या इत्तफ़ाक़?"ऑफिस का कमरा अभी भी सन्नाटे से भरा के सामने बैठी अनाया ने धीरे-धीरे अपनी साँसें संभालीं। उसके हाथ काँप रहे थे, पर उसने खुद को मज़बूत दिखाने की कोशिश की।“अनाया मेहरा…”आर्यन ने नाम दोहराया। उसकी आवाज़ धीमी थी, लेकिन उस धीमेपन में कुछ ऐसा था जिसने अनाया के दिल की धड़कन और तेज़ कर दी।कॉलेज में रूहानी और विवान की मुलाक़ात फिर हुई।रूहानी अपनी फ्रेंड्स के साथ हँसते हुए बातें कर रही थी, जब विवान वहाँ आया और सीधा उसके पास बैठ गया।“क्या कर रहे हो यहाँ?”रूहानी ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 4

एपिसोड 4 : "अतीत की परछाईयाँ"️ रहस्यमयी सुबहअगली सुबह की हल्की रोशनी धीरे-धीरे अनाया के कमरे में फैल रही खिड़की से बाहर देख रही थी। उसकी आँखें दूर तक बिखरी मुंबई की चमकती रोशनी में खोई थीं।लेकिन दिल के अंदर एक हल्की बेचैनी का अहसास था, जो उसे चैन से बैठने नहीं दे रहा था।उसके हाथ में वह पुरानी डायरी थी, जिसे उसने पिछले रात से खोल रखा था।पृष्ठ पलटते हुए उसके हाथ रुक गए। एक नया पन्ना खुला — खाली…पर उसके नीचे एक धुंधली लिखावट उभरने लगी — जैसे कोई अदृश्य शक्ति उसे लिखने को कह रही ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 5

️ एपिसोड 4 : "सदियों पुरानी परछाइयाँ"⏳ सुबह की हल्की धुंधमुंबई की सुबह की हल्की धुंध ने शहर को मायावी चादर में लपेट रखा था।ऑफिस का माहौल पहले से भी ज्यादा गहरा और रहस्यमयी महसूस हो रहा था।अनाया मेहरा ऑफिस की शीशे वाली दीवार के सामने खड़ी थी।आर्यन की वो बात उसके दिमाग़ में गूँज रही थी —"क्या तुम्हें कभी ऐसा लगता है कि तुम्हारा और मेरा रिश्ता सिर्फ़ इस जन्म का नहीं है?"उसके होंठ बेमन से हिले —"ये खिंचाव… ये बेचैनी… कुछ तो गहरा है।"विवान कॉलेज के हाल से निकलते हुए रूहानी की ओर निगाहें लगाए खड़ा था।रूहानी ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 6

--- ️ एपिसोड 6 : "रहस्य की परतें खुलती हैं" ⏳ भोर का पहला उजास मुंबई सुबह का पहला सूरज धीरे-धीरे आसमान को सुनहरा बना रहा था। लेकिन अनाया मेहरा के दिल में अंधेरा गहराता जा रहा था। उसका दिमाग़ लगातार आर्यन की उन अनकही बातों में उलझा था। "सच कहीं आस-पास है…" आर्यन की आवाज़ उसकी आँखों के सामने गूँजती रही। अनाया ने खुद से कहा, "मुझे आज उस दस्तावेज़ को खोजना होगा। कोई सुराग तो मिलेगा।" वो चुपचाप ऑफिस से निकल गई। उसका कदम किसी गहरे रहस्य की ओर बढ़ रहा ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 7

️ एपिसोड 7 : "सदियों पुरानी गुत्थियाँ" ⏳ धुंधली सुबह की हल्की चुप्पी मुंबई के ट्रैफिक की धीरे-धीरे शुरू हो रही थी। पर अनाया मेहरा का दिल अब भी भारी था। उसके कदम उसी पुराने दस्तावेज़ की ओर बढ़ रहे थे, जो उसके आर्यन से जुड़े अनसुलझे सवालों का जवाब था। वो धीरे-धीरे ऑफिस के आर्काइव रूम में गई। हर फाइल, हर दस्तावेज़ उसकी आँखों के सामने किसी रहस्य की तरह लग रहे थे। उसने फाइल में लिखी हुई बातें फिर से पढ़ी – "1995 में अनामिका मल्होत्रा की रहस्यमयी मौत… एक गुमनाम गवाह… विवान मेहरा ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 8

️ एपिसोड 7 : "अतीत के साये और वर्तमान की सच्चाइयाँ"⏳ एक अनजानी सुबह का आगमनमुंबई की हल्की धूप पूरी तरह से चमकने लगी थी।पर अनाया मेहरा का दिल, उसके कदमों की तरह, एक गहरे सच की ओर बढ़ रहे थे।वो उस गुमनाम गवाह की तलाश में थी, जिसने अनामिका मल्होत्रा की रहस्यमयी मौत के पीछे की साज़िश को छुपा रखा था।लेकिन हर कदम के साथ उसके सामने अतीत के परछाइयों की गहराई और बढ़ती जा रही थी। अनाया ने फिर से वही कॉल रिसीव करने की कोशिश की।परंतु दूसरी बार भी कोई जवाब नहीं आया।“ये क्या साजिश है?”उसने ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 9

️ एपिसोड 8 : "सच्चाई की चुप्पी और दिलों की आवाज़"⏳ धुंधलके में छुपा वादाखंडहर हवेली की रहस्यमयी दीवारें गूंज रही थीं।विवान, अनाया, रूहानी, काव्या और आर्यन की आँखों में साहस और सवालों का मिश्रित ज्वार था।पर उस रहस्य की तह में अब एक और अनकहा अध्याय जुड़ने वाला था।“हम शुरू करें,” अनाया ने धीरे से कहा।विवान ने दस्तावेज़ों को एक जगह सजाया, जैसे हर एक शब्द उसके दिल की धड़कन से जुड़ गया हो।“सबसे पहले, उस गवाह की पहचान जाननी होगी,” विवान ने गंभीर स्वर में कहा।रूहानी ने भी अपनी डायरी खोलते हुए जोड़ा,“मैंने हवेली के हर कोने ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 10

️ एपिसोड 10 : "परछाइयों की साज़िश और दिलों की पुकार" ⏳ दिलों की उलझी धड़कनें वह हवेली के भीतर जैसे हर कदम पर गूंजती जा रही थी। चारों – विवान, अनाया, रूहानी, काव्या और आर्यन – उस छुपे दरवाज़े से एक-एक कदम बढ़ा रहे थे। हवा में रहस्यमय गंध थी, और दीवारों की खामोशी कुछ अनकहे शब्दों की तरह कानों में गूँज रही थी। अनाया की हथेली अभी भी विवान के हाथ में थी। उसकी धड़कनें अचानक तेज़ हो गईं। वह सोच रही थी, "क्या सच के सामने जाने की हिम्मत रखने वाले हम सच ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 11

️ एपिसोड 10: "परछाइयों से उजाले की ओर – दिलों की अनकही दास्तां"⏳ नए सवेरे की पहली किरणवह सुबह में एक अलग सी शांति लिए आई थी। पर पिछले रात का रहस्यमय अनुभव हर एक के मन में गूंज रहा था। विवान, अनाया, रूहानी, काव्या और आर्यन अब एक नए अध्याय की शुरुआत के लिए तैयार थे। लेकिन उस दस्तावेज़ ने उनकी दुनिया में एक तहलका मचा दिया था।अनाया ने धीरे से कहा, “विवान… क्या हम सही कर रहे हैं? कभी-कभी सच से ज्यादा खतरनाक कुछ नहीं होता।”विवान ने उसकी आँखों में अपनी नज़रें डाली और मुस्कुराते हुए कहा, ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 12

एपिसोड 11 :"दिलों की पुकार और परछाइयों का रहस्य"⏳ सुबह की नई दस्तकसवेरे की हल्की किरणें हवेली की खिड़कियों भीतर झाँक रही थीं। रातभर दस्तावेज़ों की गुत्थी में उलझने के बाद भी किसी की नींद पूरी नहीं हुई थी। फिर भी, उनके चेहरों पर थकान से ज्यादा जिज्ञासा थी।अनाया बरामदे में खड़ी आसमान देख रही थी। उसकी आँखों में अभी भी पिछली रात का वो पल ताज़ा था—विवान का पहला किस। उसके होंठों पर हल्की मुस्कान खेल रही थी।पीछे से विवान आया और धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखा।“सुबह की ठंडी हवा में भी तुम इतनी खोई ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 13

--- एपिसोड 13 “दरभंगा की पुस्तकालय और हवेली का असली राज़” (मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत) ⏳ यात्रा की तैयारी सुबह की हल्की किरणों के साथ हवेली में फिर से सरगर्मी लौट आई थी। पिछली रात की वो रहस्यमयी आवाज़ अब भी सबके दिलों में गूंज रही थी। काव्या ने धीरे से कहा – “दरभंगा की पुस्तकालय… वहीं छिपा है हवेली का असली सच।” अनाया की आँखों में डर और जिज्ञासा दोनों थे। उसने विवान की तरफ देखा। विवान ने दृढ़ स्वर में कहा – “जो भी सच होगा, हम साथ मिलकर जानेंगे। कोई ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 14

एपिसोड 14 : “रूह बनी मोहब्बत – तहख़ाने का पहला दरवाज़ा” --- ⏳ रात का – पुस्तकालय के भीतर पुरानी पुस्तकालय की हवा और गहरी होती जा रही थी। धूल से ढकी अलमारियों में रखी किताबें मानो सदियों से किसी रहस्य की रखवाली कर रही थीं। सबकी निगाहें उस किताब पर टिकी थीं, जिस पर लिखा था— “रूह बनी मोहब्बत – पहला ग्रंथ”। आर्यन ने काँपते हाथों से किताब उठाई। उसके पन्ने खुलते ही एक ठंडी हवा पूरे हॉल में घूम गई। अनाया ने धीमे स्वर में कहा – “ये ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 15

--- एपिसोड 15 : “मेरे इश्क़ में शामिल रुहानियत – अतीत का पहला सामना” ⏳ तहख़ाने की शुरुआत दरवाज़े के पार जैसे ही सबने क़दम रखा, एक ठंडी लहर उनके जिस्म से टकराई। हवा में सीलन, दीवारों पर जाले और फर्श पर अजीब-सी नमी थी। ऐसा लग रहा था मानो सदियों से इस जगह पर किसी ने कदम ही न रखा हो। काव्या ने धीमे स्वर में कहा – “ये सिर्फ तहख़ाना नहीं… किसी भूली हुई कहानी का गवाह है।” रूहानी ने शरारती मुस्कान के साथ कहा – “वाह! अब तो और मज़ा आएगा… ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 16

--- एपिसोड 16 : “अंधेरे की पहली चुनौती – मोहब्बत या मायाजाल” --- ⏳ की दीवारें थरथराईं दीवारों से आती गहरी कंपन सबकी साँसें रोक रही थी। रूहानी ने डरते हुए कहा – “दीवार हिल रही है… कोई बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है क्या?” विवान ने अनाया को अपने पीछे खींच लिया, उसकी आवाज़ धीमी मगर मज़बूत थी – “किसी को भी डरने की ज़रूरत नहीं… जो भी आएगा, पहले मुझसे टकराएगा।” अनाया ने उसे देखा — वो अंधेरे में खड़ा एक रोशनी का साया लग रहा था। ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 17

--- एपिसोड 17 : “मेरे इश्क़ में शामिल रुहानियत – रूह का इम्तिहान” नीली रेखा अब ज़मीन पर चमक रही थी। विवान और अनाया उसके एक ओर खड़े थे, और दूसरी तरफ़ वो रूह — जो नफरत में जल रही थी। उसकी आँखों में अंधेरे की लपटें थीं, जैसे वो सदियों से किसी बदले की आग में कैद हो। अनाया ने धीरे से कहा — “विवान… ये वही है, जिसने हमें पिछले जन्म में अलग किया था।” विवान की आँखें ठंडी मगर दृढ़ थीं — “तो इस जन्म में मैं इसे हमें तोड़ने ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 18

एपिसोड 18 : “रूहानी का रहस्य – इश्क़ और धोखे की दहलीज़” बारिश अब भी बाहर टप-टप रही थी। मंदिर की दीवारें हल्की-हल्की कांप रही थीं, और उस नीली रेखा की जगह अब बस लाल चिह्न धधक रहा था — जिस पर लिखा था: “अगला इम्तिहान तुम्हारे अपने लोगों से होगा।” विवान और अनाया उस दीवार को निहार ही रहे थे कि पीछे से कदमों की आहट आई। धीरे-धीरे वो कदम पास आए… और धुंध के बीच से रूहानी का चेहरा उभरा। उसकी आँखों में नीली चमक थी, पर इस बार उसमें मासूमियत ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 19

--- एपिसोड 19: “राज़ का श्राप – मोहब्बत या महाशक्ति?” दरभंगा की हवेली पर रात का अब और गहरा हो चुका था। नीली और सुनहरी लपटों की चमक अब सिर्फ हवेली के अंदर नहीं, बल्कि राज़ के भीतर भी महसूस हो रही थी। वह खड़ा था, अपने हाथों में रहस्यमयी शक्ति महसूस करते हुए, और उसका दिल अजीब तरह से धड़क रहा था। वो सोच रहा था — क्या यह शक्ति रूहानी की रूह से आई है, या किसी और ने उसे यहाँ तक पहुँचाया? राज़ ने अपनी हथेलियों को देखा, नीली चमक अब उसके ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 20

मेरे इश्क में शामिल रुमानियत एपिसोड 19“अनाया और राज़ – मोहब्बत की परीक्षा”रात का अंधेरा दरभंगा की हवेली पर भी गहरा बैठ गया था। नीली और सुनहरी लपटों का रहस्यमयी खेल अब पूरे आँगन और गलियारों में फैल चुका था। हवेली के बाहर ठंडी हवा, भीतर गर्म होती ऊर्जा — जैसे दोनों के बीच कोई अदृश्य जंग हो रही हो।राज़ हवेली के बीचोबीच खड़ा था। उसकी हथेलियों में अब भी हल्की चमक थी, लेकिन भीतर एक बेचैनी भी थी। पिछले इम्तिहान में उसने शक्ति को मोहब्बत से नियंत्रित किया था, पर अब उसे एहसास हो रहा था कि असली ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 21

रात की ठंडी हवा अब भी हवेली के गलियारों में सरसराती फिर रही थी। नीली और सुनहरी लपटों की दीवारों पर अजीब से साए बना रही थी — जैसे हवेली खुद अब किसी रहस्य को कहने को बेचैन हो।राज़ और अनाया छत पर खड़े थे। उनके बीच खामोशी थी, मगर उस खामोशी में भी एक गहरी मोहब्बत बह रही थी। आसमान में सुनहरा निशान अब धीरे-धीरे फैलता जा रहा था, और उसमें से हल्की फुसफुसाहटें सुनाई दे रही थीं — जैसे कोई रूह बोलने की कोशिश कर रही हो।अनाया ने धीमे स्वर में कहा,“राज़… ये आवाज़… सुन रहे हो ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 22

मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है — एपिसोड 21सुबह की हल्की धूप हवेली की टूटी खिड़कियों से अंदर झाँक थी।राज़ और अनाया छत पर खड़े थे — कल की रात की वो नीली-सुनहरी लपटें अब सिर्फ़ याद बन चुकी थीं, पर हवेली की हवा में अब भी एक अजीब-सी नमी थी।अनाया ने आसमान की ओर देखा — वही निशान अब दो हिस्सों में बँटा हुआ था।एक हिस्सा सुनहरी चमक लिए हुए, तो दूसरा काली लपटों से भरा।राज़ ने धीरे से कहा,“ये संकेत है… रूहानी की कही बातों का। चुनाव का समय आ चुका है।”अनाया ने उसकी ओर देखा ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 23

एपिसोड 23 – “काली रौशनी का वादा” सुबह की धूप अब हवेली की टूटी खिड़कियों से नहीं, बल्कि दीवार से छनकर आ रही थी — जैसे बरसों बाद हवेली ने चैन की सांस ली हो। अनाया सीढ़ियों से नीचे उतरी, उसके कदमों की आहट फर्श पर गूंज रही थी, पर अब वो आवाज़ डरावनी नहीं लग रही थी। वो हवेली अब किसी क़ब्रगाह की नहीं, बल्कि किसी अधूरे प्रेम की याद बन चुकी थी। पर उसके दिल में अब भी एक खालीपन था — राज़ की अनुपस्थिति का। उसने वही पुराना लॉकेट अपनी गर्दन से ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 24

--- एपिसोड 24 – “अधूरी लौ, अनाया की नई शुरुआत” हवेली के दरवाज़े अब पूरी तरह चुके थे। सालों से जो जगह बंद थी, आज वहाँ धूप बेझिझक उतर आई थी। अनाया ने पलटकर आख़िरी बार हवेली की ओर देखा — वो अब किसी डरावने अतीत की नहीं, बल्कि उसके अपने प्रेम की पहचान थी। वो धीरे-धीरे हवेली की चौखट पार करती है। हर कदम के साथ उसे ऐसा लग रहा था जैसे कोई अदृश्य स्पर्श उसकी पीठ पर हल्के से हाथ फेर रहा हो — राज़ की मौजूदगी का एहसास। “अब मैं अकेली ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 25

प्रेम की राख से उठती रौशनी सुबह की धूप हवेली के टूटे झरोखों से छनकर भीतर आ रही रात की लाल आभा अब मद्धम पड़ चुकी थी, पर हवा में अब भी एक गर्माहट थी — जैसे किसी ने अभी-अभी हवेली के दिल में नया जीवन फूँका हो। अनाया नींद से जागी तो उसके हाथों में वही दीपक था — सुनहरी-काली लौ अब शांत थी, पर बुझी नहीं। उसने उसे अपनी हथेली पर रखा और धीरे से फुसफुसाई, “अब ये लौ मेरी रूह नहीं जलाएगी, बल्कि मेरा रास्ता दिखाएगी।” वो बालकनी पर आई, और देखा ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 26

--- मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है एपिसोड 26 : “परछाई का पुनर्जन्म” 1. हवेली में नई सांस सुबह की धूप दरभंगा की हवेली के टूटे झरोखों से अंदर आ रही थी। पर आज की धूप कुछ अलग थी — उसमें लालिमा कम, पर सुनहरापन ज़्यादा था। जैसे किसी ने रात भर हवेली की आत्मा को शांति दी हो। अनाया अब भी वही दीपक थामे बैठी थी। उसकी आँखें थकी थीं, मगर उनमें एक सुकून था — जैसे किसी अंत ने उसे नई शुरुआत दी हो। अचानक हवेली ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 27

मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है एपिसोड 27 : “उस तारे के नीचे” --- 1. सुनहरी छाया का आगमन रात की आख़िरी घड़ी थी। हवेली की छत पर वही सुनहरी आँखों वाली छाया धीरे-धीरे आकार लेने लगी। पहले बस उसकी आँखें दिखीं — जैसे किसी पुराने वादे की लौ फिर से जल उठी हो। फिर होंठ हिले — और एक नाम हवा में तैर गया। > “राज़…” हवा थम गई। चाँदनी ने हवेली की दीवारों को छूकर जैसे रुक जाना चाहा। नीचे गाँव के पेड़ झूमे, पर पत्तों ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 28

मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है एपिसोड 28 : “चाँदनी में लिखी तक़दीर” --- 1. दरभंगा की सुबह — एक अनोखा सन्नाटा सुबह की किरणें हवेली की दीवारों पर टकराईं, पर आज हवा में कुछ अलग था — जैसे किसी अनकहे रहस्य ने रात भर अपनी साँसें रोकी हों। दरभंगा का गाँव जाग चुका था, पर हवेली अब भी किसी गहरी ध्यानावस्था में थी। दीवारों पर रात का लिखा नाम — “रूहनिशा राज़” — अब सुनहरी चमक में बदल चुका था। गाँव वाले दूर से हवेली को देखते हुए ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 29

1. हवेली की सुबह — जब रूह ने आँखें खोलीं सूरज की पहली किरण हवेली की टूटी खिड़की भीतर आई, और उस रोशनी ने धीरे-धीरे छत पर खड़ी उस परछाई को जगाया। वो परछाई अब इंसानी आकार ले रही थी — नीले और सुनहरे आभा से घिरी, उसकी आँखों में आग भी थी और करुणा भी। वो रूह-ए-रुमानियत थी — ना पूरी तरह इंसान, ना पूरी तरह आत्मा। वो उस इश्क़ की देन थी, जो दो रूहों के मिलन से जन्मी थी — राज़ और रूहनिशा की। उसने हवेली की ओर देखा और ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 30

1. अजनबी की मुस्कान सुबह की हल्की धूप दरभंगा की हवेली पर पड़ी थी। पंछियों की चहचहाहट हवा गूंज रही थी, मगर हवेली के दरवाज़े पर जो खड़ी थी — वो किसी और ही दुनिया से आई लग रही थी। सुनहरी आँखें, बालों में गुलाब की हल्की खुशबू, और गर्दन में वही ताबीज़ — जो कभी राज़ मल्होत्रा ने रूहनिशा को पहनाया था। गाँव के लोग दूर-दूर से देखने आए। कोई बोला — “अरे, ई त रूहिया लागऽता!” तो कोई फुसफुसाया — “नै, ई त नया जनम होला...” वो लड़की मुस्कुराई, और ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 31

--- 1. हवेली की स्याह सुबह दरभंगा की हवेली पर आज सुबह की धूप नहीं उतरी — आसमान पर काले बादल मंडरा रहे थे, और हवा में गुलाब की महक की जगह अब लोहे जैसी गंध थी — ख़ून की। सीढ़ियों के पास लाल निशान फैले थे। अर्जुन की हथेली अब भी कांप रही थी, और उसकी आँखें — नीली रौशनी से चमक रही थीं। रुमी भागती हुई आई। उसने अर्जुन के हाथ थामे — “ये क्या किया तुमने?” अर्जुन बोला — > “मैंने कुछ नहीं किया… किसी ने ये मेरे ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 32

एपिसोड 32 — "वो जो परछाईं बन गया" हवेली के दरवाज़े पर टंगी नई पेंटिंग अब हवा में झूल रही थी। रात की नीली रौशनी अब भी दीवारों से रिस रही थी, और गुलाब की महक में किसी अधूरी साँस की आहट शामिल थी। अर्जुन ने पेंटिंग के सामने खड़े होकर अपनी हथेली बढ़ाई। उसे ऐसा लगा जैसे किसी ने भीतर से उसका नाम पुकारा हो — “अर्जुन…” वो आवाज़ रुमी की थी, पर हवा में तैरती हुई… बिना किसी शरीर के। उसने आँखें बंद कीं, और वही नीली चमक फिर उभरी। रुमी की परछाई ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 33

एपिसोड 33 — “रूहों की अगली दस्तक” 1. हवेली की नई सुबह दरभंगा हवेली आज अलग लग रही थी। जहाँ कल तक नीली रौशनी रिसती थी, वहाँ आज सुनहरी धूप झर रही थी। फूलों की खुशबू पूरे आँगन में बिखरी थी — जैसे किसी ने रात भर हवेली को सजाया हो। अर्जुन बरामदे में बैठा था, सामने वही पेंटिंग लटक रही थी — अब उसमें रुमी और अर्जुन के बीच सुनहरी रोशनी नहीं, बल्कि एक तीसरा साया उभरने लगा था… धुंधला, मगर ज़िंदा। अर्जुन के होंठ हिले — > “रुमी… ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 34

एपिसोड 34 — “मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है” --- 1. रौशनी के बाद की दरभंगा की हवेली में रात उतर आई थी, पर यह रात बाकी रातों जैसी नहीं थी — यह सुकून में डूबी, रूहों की साँसों से महकती रात थी। दीवारों पर अब कोई परछाईं नहीं, बस सुनहरी लकीरों में घुली नीली चमक थी। अर्जुन बरामदे में बैठा था। उसके सामने वही पेंटिंग थी — पर अब उसमें रुमी और रूहान दोनों मुस्कुरा रहे थे, और उनके बीच अर्जुन की परछाई ठहर गई थी। > “अब ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 35

एपिसोड 35 — “इश्क़ की स्याही से लिखा वादा” (कहानी: मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है) --- 1. हवेली की दीवारों में नई साँसें दरभंगा की हवेली अब पहले जैसी नहीं रही थी। जहाँ कभी सन्नाटा पसरा था, अब वहाँ हर सुबह कोई नया एहसास जागता था। बरामदे की दीवारों पर नीली लकीरें चमक उठतीं, और हर शाम सुनहरी धूप दीवारों से फिसलकर भीतर चली आती — जैसे हवेली खुद कह रही हो, “अब मैं अधूरी नहीं रही।” अर्जुन खिड़की के पास बैठा था, रूहाना उसके सामने, अपनी नई डायरी में कुछ ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 36

एपिसोड 36 — “रूह की ख़ामोशियाँ, दिल की गूँज” (कहानी: मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है) --- 1. नीले आसमान का रहस्य दरभंगा की हवेली के ऊपर आसमान आज कुछ अलग था। नीली लहरों जैसी रोशनी हवेली के चारों ओर घूम रही थी — मानो हवेली किसी अनदेखे रहस्य की रक्षा कर रही हो। रूहाना ने बरामदे से ऊपर देखा। “अर्जुन जी… ये आसमान ऐसा क्यों है?” अर्जुन कुछ क्षण चुप रहा, फिर बोला — > “कभी-कभी आसमान वो सब दिखा देता है, जो ज़मीन छुपा लेती है…” ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 37

एपिसोड 37 — “इश्क़ की परछाईं, रूह की दस्तक” (कहानी: मेरे इश्क़ में शामिल रूहानियत है) --- 1. हवेली का नया सवेरा दरभंगा की हवेली पर आज एक अजीब-सी शांति थी — न बहुत ठंडी, न बहुत गर्म… बस जैसे वक़्त ठहर गया हो। रूहाना बरामदे में खड़ी थी, नीले दीए की लौ को देखती हुई। कल रात की घटनाएँ अभी भी उसके ज़ेहन में गूंज रही थीं — वो ताबीज़, वो लिपि, और वो आवाज़ जो शीशे के भीतर से आई थी। अर्जुन पीछे आया, उसके कंधे पर हाथ रखकर बोला ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 38

एपिसोड 38 — “रूहों का पुनर्जन्म” (कहानी: मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है) --- 1. धुंध की वापसी दरभंगा की हवेली में सुबह के बाद फिर से एक अजीब-सी धुंध उतर आई थी। नीली, ठंडी और सिहरन भरी — जैसे किसी अधूरे वादे की परछाईं लौट आई हो। रूहाना बालकनी पर खड़ी थी, उसकी आँखों में अब सुकून नहीं था, बल्कि एक बेचैनी थी। “अर्जुन,” उसने धीरे से कहा, “क्या तुम्हें लगता है… हमारी कहानी अब पूरी हो गई है?” अर्जुन ने उसकी ओर देखा, “कहानी कभी पूरी नहीं होती, रूहाना। हर ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 39

एपिसोड 39 — “नीले वादे का पुनर्लेखन” (कहानी: मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है) --- हवेली की खिड़की से लौटती रूहें सुबह की ठंडी हवा में दरभंगा की हवेली एक नए संगीत में सांस ले रही थी। दीवारों पर उभरी नीली लकीरें अब बुझ नहीं रही थीं — बल्कि उनमें एक हल्की धड़कन सुनाई दे रही थी। रूहाना बालकनी में खड़ी थी, उसके बाल हवा में उड़ रहे थे। वो मुस्कराई, “अर्जुन, लगता है हवेली अब हमें अपना हिस्सा मान चुकी है…” अर्जुन ने धीमे से जवाब दिया, “कभी-कभी रूहें जगह ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 40

एपिसोड 40 — “वक़्त की सरगम” (कहानी: मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है) --- 1. का शांत संगीत दरभंगा की हवेली में आज अजीब-सी शांति थी। न नीली धुंध, न कोई गूँज — बस हवा में हल्की-सी खुशबू थी, जैसे किसी पुराने इश्क़ की परतें फिर से खुल रही हों। रूहाना ने बरामदे से आसमान की ओर देखा। तारे अब नीले नहीं, सुनहरे थे। उसने धीमे से कहा, “अर्जुन… लगता है हवेली अब हमें विदा कर रही है।” अर्जुन उसके पास आया, “शायद इश्क़ पूरा हो चुका है, रूहाना। अब बस ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 41

1. नई शुरुआत की हल्की रौशनी सुबह की पहली किरण जब दरभंगा की पुरानी हवेली की दीवारों से तो हवा में अब कोई रहस्य नहीं था — बस शांति थी, और उस शांति में एक मधुर संगीत तैर रहा था। रूहाना ने बरामदे से बाहर झाँका — जहाँ कभी नीली धुंध फैली रहती थी, वहाँ अब सुनहरी ओस चमक रही थी। अर्जुन उसके पास आया, “अब हवेली सच में सो गई है, रूहाना।” वो हल्के से मुस्कराई, “हाँ… मगर जो कुछ इसने हमें दिया, वो ज़िंदा रहेगा।” अर्जुन ने उसकी हथेली थामी, “शायद ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 42

एपिसोड 42 — “वक़्त की परछाइयों में लिखा इश्क़”(कहानी: मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है)--- 1. नई लय की की ठंडी शाम थी।रूहाना अपने स्टूडियो “रूह की कलम” की खिड़की के पास बैठी थी।सामने रखे कैनवास पर अधूरी पेंटिंग थी —दो रूहें, जो एक-दूसरे की ओर बढ़ रही थीं,मगर बीच में नीली रोशनी की दीवार थी।वो उस पेंटिंग को निहार रही थी जब अर्जुन ने पीछे से कहा,“अब भी वही रंग?”रूहाना मुस्कराई,“कुछ कहानियाँ खत्म होकर भी अधूरी रह जाती हैं, अर्जुन।”अर्जुन ने उसके पास आकर ब्रश थामा,“तो चलो, उन्हें पूरा करते हैं — अपने रंगों से।”उसने नीली रेखा ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 43

एपिसोड 43 — “रूह की कलम का रहस्य”(कहानी: मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है)--- 1. हवेली की सांसें फिर की हवेली के सामने दोनों खामोश खड़े थे।वो हवेली, जो कभी रूहान और रुमी की मोहब्बत की गवाह थी —आज फिर सांसें ले रही थी।नीली हवा दीवारों से फिसलकर ज़मीन पर उतर रही थी,और दरवाज़े अपने आप धीरे-धीरे खुल रहे थे —जैसे किसी अनदेखी रूह ने उनका स्वागत किया हो।रूहाना ने धीमे से कहा,“ये वही धुन है… जो रुमी ने आख़िरी बार गुनगुनाई थी।”अर्जुन ने सिर झुकाया,“मगर अब ये हमारे लिए बज रही है।”दोनों हवेली के भीतर कदम रखे।सामने ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 44

एपिसोड 44 — “कलम जो खुद लिखने लगी”(कहानी: मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है)--- 1. लौटना — मगर सब बदला हुआदरभंगा की हवेली पीछे छूट चुकी थी,मगर उसकी रूह अब रूहाना और अर्जुन के भीतर बस चुकी थी।ट्रेन दिल्ली की ओर बढ़ रही थी।खिड़की से नीला आसमान, बादलों में तैरती धूप —सब कुछ किसी नई शुरुआत की तरह था।रूहाना की गोद में वही पेन रखा था — Ruh-e-Kalam।वो बार-बार उसे देख रही थी,जैसे उसमें किसी अदृश्य धड़कन को महसूस कर रही हो।अर्जुन ने मुस्कराकर पूछा,“अब भी डर लग रहा है?”रूहाना ने धीमे स्वर में कहा,“डर नहीं… बस अजीब-सी ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 45

एपिसोड 45 — “जब कलम ने वक़्त को लिखना शुरू किया”(कहानी: मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है)--- 1. वक़्त परे एक आवाज़रात का सन्नाटा जैसे किसी अदृश्य जादू में जकड़ा था।दिल्ली की हलचल बहुत पीछे छूट चुकी थी —अब सिर्फ़ रूह की कलम का स्टूडियो नीली रौशनी में डूबा था।रूहाना फर्श पर बैठी थी, उसकी उंगलियाँ अब भी नीली चमक से भरी थीं।कलम उसके सामने रखी थी — मगर इस बार वो शांत नहीं थी।वो हल्के-हल्के कंपन कर रही थी,जैसे कोई पुरानी रूह उसमे साँस ले रही हो।अर्जुन ने दरवाज़ा खोला —“रूहाना… सब ठीक है?”उसने सिर उठाया।“नहीं अर्जुन। ...और पढ़े

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 46

एपिसोड 46 — “वक़्त की कलम और अधूरी रूह”(कहानी: मेरे इश्क़ में शामिल रुमानियत है)--- 1. रूह की खामोशीनीली में अब अर्जुन की धड़कनें गूँज रही थीं।हर पन्ने पर जैसे उसकी साँसें उतर आई हों।रूहाना के सामने टेबल पर वही नई कलम रखी थी —जिसकी निब से हल्की-सी गर्मी निकल रही थी।वो गर्मी नहीं… अर्जुन की मौजूदगी थी।वो बोली,“तुम अब भी यहीं हो न, अर्जुन?”एक हल्की नीली लकीर हवा में बनी —> “हमेशा। जब तक शब्द सांस लेते रहेंगे।”रूहाना की पलकों से आँसू गिरे, और कागज़ पर गिरते हीस्याही में तब्दील हो गए।कागज़ ने खुद ब खुद लिखा ...और पढ़े

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