पुराने किले में हलचल..... गामाक्ष के जाते ही सब तरफ सन्नाटा छा जाता है, , सब बेसुध इधर उधर पड़े थे किसी को कोई होश नहीं यहां क्या हो गया,।।। अब आगे............. रात के तीन बज चुके थे , , अभी भी सब तरफ बस हवा का शोर ही गूंज रहा था , , धीरे धीरे विवेक के शरीर में हलचल सी होने लगती है और उसके थोड़ी देर बाद विवेक अपनी आंखों को खोलकर ऊपर की तरफ देखते हुए धीरे धीरे सब तरफ नजरें घुमाने लगता है और अपने आस पास सबको बेसुध पड़े देखकर उसके चेहरे पर शिकंज आ जाती है...
The Risky Love - 1
पुराने किले में हलचल.....गामाक्ष के जाते ही सब तरफ सन्नाटा छा जाता है, , सब बेसुध इधर उधर पड़े किसी को कोई होश नहीं यहां क्या हो गया,।।।अब आगे.............रात के तीन बज चुके थे , , अभी भी सब तरफ बस हवा का शोर ही गूंज रहा था , , धीरे धीरे विवेक के शरीर में हलचल सी होने लगती है और उसके थोड़ी देर बाद विवेक अपनी आंखों को खोलकर ऊपर की तरफ देखते हुए धीरे धीरे सब तरफ नजरें घुमाने लगता है और अपने आस पास सबको बेसुध पड़े देखकर उसके चेहरे पर शिकंज आ जाती है...विवेक ...और पढ़े
The Risky Love - 2
ज़ब मैं इस दुनिया से चली जाउंगी.....अब आगे...........विवेक खुद से ही कहता है....." अदिति ये ब्रेसलेट क्यूं देकर गई मुझे...?..." बहुत देर सोचने के बाद उसे इस ब्रेसलेट के पीछे की वजह समझ आ जाती है......फ्लैशबेक......." अदिति तुम इतना परेशान सी क्यूं बैठी हो...?..." विवेक एक चुलबुली मुस्कान को छिपाते हुए कहता हैअदिति वहीं गुमसुम सी कहती हैं..." विवेक कुछ नहीं हुआ तुम जाओ..."विवेक उसके चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी तरफ करके पूछता है...." मेरी स्वीट हार्ट को क्या हुआ है...?... मुझे नहीं बताओगी..."" विवेक तुम्हें पता है , मैं जो ब्रेसलेट पहनती हूं.."विवेक उसे टोकते ...और पढ़े
The Risky Love - 3
...पुराने किले में कैद अदिति.....अब आगे.............आदित्य इस बात को सुनकर बहुत ज्यादा दुखी हो जाता है...कामनाथ जी और अमरनाथ उसे समझाते हैं...." ऐसे. दुखी होने से कुछ नहीं होगा आदित्य , खुद संभालो , अदिति तुमसे दूर गई , अभी वो जिंदा है , , तुम्हें उसे बचाना होगा..."तभी मेन डोर से आवाज़ आती है......" अदिति जिंदा है और उसे बचाना है..."सबकी नजरें मेन डोर पर जाती है जहां इशान और विवेक खड़े उनकी ये बात सुन चुके थे , , विवेक तेज तेज कदमों से आकर आदित्य के पास आकर बैठकर उसे कंधे से पकड़कर पूछता है....." कहां ...और पढ़े
The Risky Love - 4
देविका को पता चली सच्चाई...अब आगे.......विवेक आदित्य को समझाते हुए कहता है कि हम भी पैहरगढ जाएंगे..." जिसे सुनकर अपने आंसूओं को पोंछते हुए कहता है...." हां विवेक सही कहा, , मुझे पैहरगढ जाना होगा , अब देर नहीं करनी चाहिए...."विवेक अकेले उसके जाने की बात सुनकर कहता है....." भाई , आप अकेले नहीं जाओगे , मैं भी आपके साथ ही जाऊंगा...."विवेक की जाने की बात सुनकर आदित्य उसे मना करता है लेकिन इशान उसका सपोर्ट लेते हुए कहता है....."आदित्य तू अकेला नहीं जाएगा , हम दोनों तेरे साथ जाएंगे..."" लेकिन मैं तुम दोनों को खतरे में नहीं डाल ...और पढ़े
The Risky Love - 5
मुझे सच्चाई जाननी है....अब आगे............देविका जी वापस अपने घर पहुंचकर बाहर आंगन में खाट पर बैठ जाती है और के कुछ लोग भी वहीं उनके आमने सामने बैठ कर बातें करने लगते हैं , , कांची देविका जी के लिए दूध का गिलास लेकर आती है और वही खड़ी हो जाती है , , देविका जी दूध पीते हुए दरवाजे की तरफ ही देख रही थी तभी रमन से कहती हैं ...." जा देखकर आ वो अभी तक आए या नहीं...." रमन वहां से चला जाता है और देविका सबसे बात करके सबको जाने के लिए कहती हैं,अब सब ...और पढ़े
The Risky Love - 6
अतीत की सच्चाई.. 1अब आगे.........." पहले तुम सब यहां बैठो , सफर से आए हो तक गए होगे..."" नहीं अब आराम से बैठने का टाइम नहीं है जल्दी ही अदिति को बचाना होगा...."देविका जी खटोले को बिछाती हुई कहती हैं......" तुम सब बैठो , कांची इन सबके लिए चाय और कुछ खाने के लिए लेकर आ..."." जी मासी.." कांची वहां से रसोईघर में चली जाती हैं लेकिन आदित्य घबराते हुए कहता है....." मां हमें कुछ नहीं खाना बस जल्दी से बताइए सच्चाई क्या है और हम अदिति को कैसे बचा सकते हैं.....?..."देविका जी आदित्य की बात को सुनकर कहती ...और पढ़े
The Risky Love - 7
अतीत से जुड़े पहलु. 2अब आगे.........गामाक्ष हकलाते हुए कहता है..." त तुम ..ये क्या कर रहे हो...?..."दूसरी तरफ से गुस्से वाली आवाज आती है....." दूसरों के घरों में बेवजह घुमना अच्छी बात नहीं होती , !गामाक्ष दूर से आ रही एक चमकदार रोशनी को देखते हुए कहता है...." ये क्या चीज़ है , कोई दीपक या मशाल तो नहीं लगती.... बोलो विरूनाभ , तुम आंधी रात को क्या क्रिया कर रहे हो....?.."विरूनाभ दांतों को भिंचते हुए कहता है...." तुम चुपचाप यहां से चले जाओ , नहीं तो मैं तुम्हें मारकर खा जाऊंगा..."तभी उस जलती हुई रोशनी में से आवाज़ ...और पढ़े
The Risky Love - 8
अदिति के जन्म की सच्चाई...अब आगे.............तभी उस चमकती हुई ज्योति में से आवाज़ आती है...." हे ! महात्मा , वनदेवी आपसे एक विनती करती हूं अगर आप उसे स्वीकार करें तो मैं कहूं...."इस आवाज से सबका ध्यान उसकी तरफ जाता हैआदिराज अचानक ज्योति में से आवाज़ सुनकर कहते हैं...." बोलो , क्या विनती करनी है...."" मैं , इस पिशाच को अकेले नहीं मार सकती , इसमें आपके अंश की आवश्यकता होगी , क्योंकि आपकी सकारात्मक शक्तियो ने इसे निढाल बनाया है ,..."" तो तुम कहना क्या चाहती हो वनदेवी ....?..."" हे ! महात्मा , , मुझे आज्ञा दे दो ...और पढ़े
The Risky Love - 9
बेताल की आत्मा कहाँ गई....अब आगे...........आदिराज घोषणा करते हैं की उनकी बेटी के जन्म की खुशी में पूरे गांव दावत के लिए कहते हैं , जिससे पूरे गांव में खुशी का माहौल था , ,आदिराज देविका के पास जाते हैं जिन्हें देखकर देविका उनकी इतनी खुशी का कारण पूछती है...." आप आज बेटी के जन्म पर पूरे गांव को दावत क्यूं देना चाहते हो....?..."आदिराज देविका के हाथ को अपने हाथ में लेते हुए कहते हैं....." देविका पहली जब हमने बेटे के जन्म पर पूरे गांव को दावत दी थी तो हम बेटी के जन्म पर कोई कसर क्यूं छोड़े.... ...और पढ़े
The Risky Love - 10
अपहरण कांड की शुरुआत...अब आगे.........आदिराज अदिति को अमोघनाथ को सौंप कर खुद उस घेरे के आस पास उस बोतल ढूंढ़ने लगते हैं , , आस पास उस शीशी को न मिलने की वजह से आदिराज के चेहरे पर डर झलकने लगा था और उस अभिमंत्रित खंजर को उठाकर जल्दी से उसे एक लाल कपड़े में लपेटकर उसपर मौली को लपेटते हुए मंत्रों का जप कर रहे थे , , उस खंजर को पूरी तरह ढकने के बाद उसे वो कमर में बांध लेते हैं और फिर काली माता के सामने रखे मौली को उठाकर उसमें एक रूद्राक्ष को पीरोकर ...और पढ़े
The Risky Love - 11
तामसिक क्रिया की तैयारी...अब आगे.............गामाक्ष रात के अंधेरे में मंदिर के तहखाने वाले कमरे से वो किताब चुरा रहा , जिसे देखकर आदिराज चौंकते हुए कहते हैं......" इस गामक्ष ने पैशाची विद्या की किताब क्यूं चुराई....?...."आदिराज को विहल देखकर अमोघनाथ उन्हें करते हुए कहता है......" आदिराज जी..! आप शांत हो जाइए नहीं तो आप अपनी शक्तियों पर से नियंत्रण खो देंगे...."" अमोघनाथ मेरी शक्तियों की परवाह नहीं मुझे , , इस गामाक्ष ने आधी रात को ये चोरी क्यूं की...?...कहीं ये भी तो पैशाची शक्तियों को तो प्राप्त नहीं करना चाहता....?..."" आदिराज जी ! मैंने आपसे पहले ही कहा ...और पढ़े
The Risky Love - 12
आदिराज ने अपने खून की आखिरी बूंद तक चढ़ा दी....अब आगे..............अचानक तेज हवाएं चलने से सब घबरा जाते हैं इसलिए आदिराज उनको समझाते हुए कहते हैं....." घबराने की जरूरत नहीं है , अक्सर ऐसी क्रिया करने में मौसम भयावह हो जाता है इसलिए किसी को डरने की जरूरत नहीं , , बस इस क्रिया को पूरा होने दो उसके बाद सब शांत हो जाएगा....अमोघनाथ बैठो ,...!आदिराज के कहने पर अमोघनाथ उन सभी सामग्री को निकालकर बाहर आदिराज के सामने रखने लगता है...अमोघनाथ सामान को रखते हुए पूछता है...." आदिराज जी ! हम उस बेताल की आत्मा का पता नहीं ...और पढ़े
The Risky Love - 13
आदिराज की मौत गामाक्ष की ख़ुशी...अब आगे............आदिराज के गिरते ही देविका विहल हो उठती है,।।।।धीरे धीरे उस अंडे के में से हरे रंग की रोशनी निकलने लगती है और देखते ही देखते वो अंडा पूरी तरह से टूट चुका था जिसमें से एक छोटी सी बच्ची निकलती है जिसकी आंखें गहरी हरे रंग की थी और उसका शरीर हल्के लाल रंग का था , जिसे सब हैरानी से देख रहे थे , तो वहीं वो लड़की अंडे के खोल से जैसे ही पहला कदम धरती पर रखती है वैसे ही उसके आकार में वृद्धि होने लगती है और कुछ ...और पढ़े
The Risky Love - 14
गामाक्ष को नरभक्षी पिशाच का रूप मिलना...अब आगे................गामाक्ष बड़े गौर से उसे देख रहा था, , अपने आप को से देखते हुए देख वो पैशाची कन्या गुस्से में बोल उठती है...." ऐसे क्या घूर घूर के देख रहा है , कभी लड़की नहीं देखी , ..."गामाक्ष उसकी बात काटते हुए कहता है...." लड़की तो बहुत देखी है जिनकी बलि से मैंने इन्हें खुश किया है लेकिन तू कुछ अजीब लग रही है , कभी किसी लड़की की आंखों का रंग हरा नहीं देखा , , पता नहीं तू कुछ अजीब है...."वो लड़की दांतों को भींचते हुए कहती हैं...." नहीं ...और पढ़े
The Risky Love - 15
गामाक्ष हुआ पिंजरे में कैद....अब आगे................गामाक्ष अपने नाखूनों से लोगों को जख्मी कर रहा था , , अमोघनाथ ने रोकने के लिए अपनी मंत्र शक्ति से कोशिश की लेकिन वो बेकाबू होता जा रहा था , ,अमोघनाथ अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे थे लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ , तब आखिर में वो चेताक्क्षी को बुलाकर कहते हैं...." बेटी , मेरा हाथ मत छोड़ना और जैसे जैसे मैं मंत्र बोलूंगा तुम उसे दोहराती जाना...."अमोघनाथ के कहने के बाद चेताक्क्षी उनका हाथ पकड़ कर वैसे ही मंत्रों को दोहराने लगी जैसे जैसे अमोघनाथ बोल रहे थे.....दोनों की मंत्रों ...और पढ़े
The Risky Love - 16
वनदेवी कौन है....?..अब आगे.........देविका जी कहती हैं ....." आदित्य , ये तो अमोघनाथ जी ही बताएंगे...."देविका जी के कहने अमोघनाथ जी आदित्य को उसके सवाल का जबाव देते हैं...." आदित्य , गामाक्ष के कैद होने के बाद चेताक्क्षी को हमने उसके नाना के पास भेज दिया था , क्योंकि वो वहां के जानेमाने तांत्रिक है , उन्हें हर तरह की विद्या का ज्ञान है , क्योंकि चेताक्ष्की की ऊर्जा से वो उस पिंजरे में कैद हुआ था इसलिए मैंने चेताक्क्षी को इससे दूर कर दिया था , अब वो समय है जब चेताक्क्षी ही मेरे हर काम को बराबरी ...और पढ़े
The Risky Love - 17
चैताक्षी का वापस पहरगढ़ आना....अब आगे.............अमोघनाथ जी विवेक से कहते हैं..."वनदेवी एक प्रकृति प्रेम से बनी है , उन्हें भी तरह क्षति नहीं पहुंचाई जा सकती लेकिन गामाक्ष जिसमें क्रुरता और नफ़रत के अलावा कुछ नहीं है , ऐसे में तुम्हारा सच्चा प्रेम ही है , जिससे अदिति को वश में करना मुश्किल हो गया था, इसलिए उस गामाक्ष ने तुम्हें उससे दूर करने की कई बार कोशिश की है , उसका छोटा वशीकरण तुम्हारे प्रेम से टूट जाता था , जब वो उसमे सफल नहीं हुआ तब उसने अपनी पैशाची शक्ति को एक तावीज में समेटकर अदिति को ...और पढ़े
The Risky Love - 18
रक्त रंजत खंजर की खोज...अब आगे.................चेताक्क्षी गहरी सांस लेते हुए कहती हैं....." वो खंजर रक्त रंजत खंजरये वो खंजर जिससे किसी भी दुरात्मा को खत्म किया जा सकता है , जिसका मिलना बहुत मुश्किल है , और इसके अलावा जो भी विधि हम करेंगे उसमें बहुत समय लगेगा , तब ही कोई उपाय मिल सकता है , लेकिन खंजर से उसे खत्म किया जा सकता है..."विवेक पूरे जोश के साथ कहता है...." तुम बताओ ये खंजर कहां पर है , मैं पूरी कोशिश करूंगा उसे लाने की..."चेताक्क्षी निराशा भरी आवाज में कहती हैं...." अफसोस हमें इस खंजर के बारे ...और पढ़े
The Risky Love - 19
मयन देव से विवेक की मुलाक़ात....अब आगे.............उबांक की बात सुनकर गामाक्ष कहता है....." बिल्कुल उबांक तुम्हारा बदला अकेले नहीं , हम दोनों का है...."उबांक गामाक्ष की बात से सहमत होकर सिर हिला देता है....दूसरी तरफ , चेताक्क्षी ने यज्ञ कुंड के आसपास अभिमंत्रित भभूत से घेरा बनाकर , खुद उसके सामने बैठ जाती है और उसके सामने दो कुश के आसन सामने बिछाए थे , जिसपर एक पर अमोघनाथ जी और दूसरे पर आदित्य बैठा था , ....देविका जी और इशान माता काली के सामने बैठकर उनके सुरक्षा कवच यज्ञ को देख रहे थे , , चेताक्क्षी एक मिट्टी ...और पढ़े
The Risky Love - 20
एक मायानगरी....अब आगे...........विवेक पूरे जोश में कहता है....."मैं अदिति को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाऊंगा , आप मुझे जगह बता दीजिए...."मयन देव विवेक के जज्बात को सरहाते हुए कहते हैं..." बहादुर हो , लेकिन मैंने बहुत बहादुरों को वहां जाते देखा है लेकिन कोई वहां से नहीं लौटा है...."" आप मुझे उस जगह के बारे में बता दीजिए बाकी मैं अपना काम पूरा करके ही लौटूंगा...ये मुझे मेरे प्यार को बचाने के लिए करना होगा...."मयन देव आगे कहते हैं....." बहुत सी रुकावटें आ सकती है जहां तुम्हारे प्रेम की परिक्षा भी हो सकती है इसलिए सावधान ...और पढ़े
The Risky Love - 21
अब आगे..............वो पेड़ विवेक को फल खाने के लिए देता है लेकिन विवेक उस पर को लेने से मना देता है.... " नहीं मुझे कोई भूख नहीं लगी है न मुझे थकान है , पूछने के लिए शुक्रिया...अब मैं चलता हूं...."विवेक जल्दी से उस पेड़ से आगे बढ़ जाता है और गहरी सांस लेते हुए कहता है...." मुझे अर्लट रहना चाहिए , मयन देव ने कुछ भी लेने से मना किया है , , ओह इस तारे का एक हिस्सा बूझ गया , , जल्दी कर विवेक.... लेकिन ये महाकाल मंदिर है कहां , इतने विरान से रास्ते में ...और पढ़े
The Risky Love - 22
विवेक के सामने एक शर्त....अब आगे..............चेताक्क्षी अमोघनाथ जी से कहती हैं....." बाबा , अब तो केवल आदिराज काका की भस्मी ही उस गामाक्ष की क्रिया को रोक सकती है......"अमोघनाथ जी निराशा भरी आवाज में कहते हैं....." नहीं चेताक्क्षी , ऐसा संभव नहीं है , आदिराज जी की भस्मी हमने प्रवाहित कर दी , ...."चेताक्क्षी हैरानी से कहती हैं...." बाबा आपने ये क्यूं किया , आप अच्छे से जानते थे , आदिराज काका एक दिव्य पुरुष थे तो उनकी भस्मी भी हमारे कितने काम आती , आपसे ये उम्मीद नहीं थी बाबा....."उधर विवेक उस बौने के प्रदेश में फंस चुका ...और पढ़े
The Risky Love - 23
चैताक्षी की चिंता...अब आगे.............बौनो का राजा विवेक को रोकते हुए कहता है....." तुम अपने साथ ये विषमारक पत्ते लेकर ध्यान रखना जब वो तुमपर वार करे तो तुम तुरंत इन्हें खा लेना इससे तुम पर उसका असर नहीं पड़ेगा....और इस खंजर को अपने पास रखो...."विवेक मुस्कुरा कर कहता है...." इतने छोटे से खंजर से उसे कुछ नहीं होगा...."बौनो का राजा उसे घूरते हुए कहता है...." ये कोई साधारण खंजर नहीं है , इसके आकार में वृद्धि होती रहती हैं , और अपनी सुगमता के लिए इसकी धार में भी परिवर्तन होता है..."विवेक उनसे माफी मांगकर कुछ बौनो के साथ ...और पढ़े
The Risky Love - 24
अदिति का शरीर शिथिल पड़ने लगा हैचेताक्क्षी जल्दी से उस मूर्ति के पास जाकर देखकर हैरान रह जाती है....." ऐसा नहीं होना चाहिए...?..."अब आगे..........चेताक्क्षी जल्दी से उस मूर्ति के पास आकर बैठती हुई कहती हैं....." बाबा , आपको हमारे साथ मिलकर उस गामाक्ष की क्रिया को रोकना होगा...."अमोघनाथ जी हैरानी भरी आवाज में पूछते हैं...." क्या हुआ चेताक्क्षी ....?... इतना घबरा क्यूं गई....?..."" बाबा घबराऊ नहीं क्या करूं , , वो गामाक्ष आज ही देहविहिन क्रिया को करने की कोशिश कर रहा है...."उसकी ये बात सुनकर अमोघनाथ जी काफी शाक्ड हो जातें हैं....." क्या... लेकिन वो क्रिया तो कल ...और पढ़े
The Risky Love - 25
... विवेक , मुझे बचाओ...."आखिर में इतना कहकर अदिति की आंखें बंद हो चुकी थी....अब आगे...........इधर अदिति अपनी आंखें कर चुकी थी उधर विवेक को मानो जैसे लम्बे समय के बाद होश आया हो , अचानक चौंकते हुए चिल्लाता है....." अदिति , , मैं तुम्हें बचाऊंगा..."विवेक हैरानी से चारों तरफ देखते हुए अपने सामने खड़ी सुहानी को देखकर गुस्से में कहता है...." तुम मुझे यहां क्यूं लाई हो....?...." विवेक जल्दी से अपने सप्त शीर्ष तारा को निकालकर देखता है जिसमें अब केवल दो ही शीर्ष चमक रहे थे , ,विवेक उसे घूरते हुए कहता है....." तुम्हारी वजह से मेरा ...और पढ़े
The Risky Love - 26
कांकली जंगल में विवेकअब आगे.............विवेक के इस सवाल पर सुहानी मुस्कुराते हुए कहती हैं...." हम छलावी कन्या है , हमारा रुप कभी नहीं मुरझाता , , हम इस मायावी नगरी की अप्सराएं है , , हमारा कर्तव्य मनुष्य को भ्रमित करना है , , जैसे हमने तुम्हें करना चाहा , किंतु तुम्हारे प्रेम के आगे हमारी शक्तियां कम पड़ गई , , तुम हमारी परिक्षा में सफल हुए हो इसलिए ये जाओ , अपने गंतव्य पथ पर....विवेक उसकी बात सुनकर वहां से चला जाता है....इधर चेताक्क्षी यज्ञ कुंड के पास बैठी उस लाल पोटली को खोलकर मिट्टी को चौकोर ...और पढ़े
The Risky Love - 27
आदमखोर जानवरअब आगे..........विवेक तुरंत अपनी जेब से फोन निकालकर उसकी फ़्लैश लाइट आॅन करके देखता है तो उसके पैर के गार में धंसने लगे थे और खुद पेड़ की बड़ी बड़ी शाखाओं में जकड़ा हुआ था , , एक तो मौसम का बिगड़ना और खुद का अचानक इस तरह किसी पेड़ की शाखाओं में जकड़ जाना उसके लिए मुश्किल खड़ी हो गई थी.....धीरे धीरे बारिश रुक चुकी थी लेकिन आसमान में अभी भी काले बादल छाए हुए थे , , विवेक खंजर की मदद से उन शाखाओं को काटने की कोशिश कर रहा था , लेकिन जैसे ही एक ...और पढ़े
The Risky Love - 28
महाकाल का मंदिरआदित्य को चेताक्क्षी की बातें समझ नहीं आ रही थी फिर भी उसके बताए अनुसार वो उस के पीछे जाकर छिप जाता है..... आदित्य के जाने के बाद चेताक्क्षी मुड़कर कहती हैं....." मुझे पता था तुम जरूर आओगे...."अब आगे..............." हमें पता था , तुम हमारा पीछा कर रहे हो...."चेताक्क्षी ने उस तरफ देखते हुए कहा .... आदित्य उसकी नज़रों को पीछा करते हुए , उसे देखकर हैरानी से कहता है...." ये चेताक्क्षी उस चमगादड़ जो देखकर ऐसा क्यूं बोल रही है...?..."वो चमगादड़ धीरे धीरे एक बड़े आकार में बदलने लगती है , जिसे देखकर चेताक्क्षी गुस्से में ...और पढ़े
The Risky Love - 29
चैताक्षी क्या करने वाली हैविवेक उतावला सा जल्दी जल्दी मंदिर की तरफ जा रहा था , , , वो मंदिर के तोरण द्वार तक पहुंच चुका था , जहां वो हाथ जोड़कर आगे बढ़ता है तभी एक आवाज आती है....." रूको....तुम अंदर नहीं आ सकते...."अब आगे.........उस तोरण द्वार पर दो आधे नाग और आधे इंसान ने विवेक को रोकते हुए कहा है....." कोई भी इस तोरणद्वार से आगे नहीं जा सकता...."विवेक उसे देखते हुए कहता है...." क्यूं नहीं जा सकता...?..."दूसरी तरफ फिर एक बार रौबदार आवाज आती है......" ये कोई साधारण जगह नहीं है , नागप्रदेश है , और ...और पढ़े
The Risky Love - 30
नागदेव सेनापति की बात सुनकर बहुत गुस्से में कहते हैं.....अब आगे..............नागदेव गुस्से में कहते हैं....." तुम किसी भी मनुष्य कहने पर उसे यहां हमारे पास ले आओगे , तुम ये कैसे भूल सकते हो ये कोई साधारण मंदिर नहीं है जो किसी भी मनुष्य को यहां लाया जाए..."विवेक नागदेव की बात को सुनकर उनके पास जाकर अपनी बंद मुट्ठी को नागदेव की तरफ करते हुए कहता है....." आप शांत हो जाइए , पहले इस रूद्राक्ष को ले लिजिए...."नागदेव विवेक के हाथ में नागरूद्राक्ष को देखकर हैरानी से उसकी तरफ देखते हुए कहते हैं....." तुम्हें ये कहां से मिला...?....और मायानगरी ...और पढ़े
The Risky Love - 31
पहेलियों का खेलअपनी हैरानी जताते हुए विवेक ने उस हंस से पूछा...." मैं इस पानी में सांस कैसे ले रहा हूं...?..."अब आगे...........हंस उससे कहता है....." ये पानी नहीं है , केवल उसकी छाया है , , ये छाया केवल सुरक्षा के लिए बनाई गई है कोई भी मेरी इजाजत के बिना अंदर नहीं जा सकता , , अब चलो मेरे साथ...."विवेक उस हंस के पीछे पीछे उस तालाब के आखिरी छोर तक पहुंच चुका था , जहां पर छोटी छोटी सीढियां बनी हुई थी.....विवेक चारों तरफ देखते हुए कहता है...." यहां पर खंजर कहां है...?..."हंस जल्दी से एक सीढ़ी ...और पढ़े
The Risky Love - 32
विवेक अचानक बेहोश कैसे हो गया..?तभी अमोघनाथ जी हड़बड़ाते हुए उनके पास आते हैं......अब आगे...............अमोघनाथ जी हड़बड़ाते हुए उनके आकर कहते हैं....." चेताक्क्षी , मुझे गामाक्ष की कमजोरी पता चल गई...."चेताक्क्षी खुशी जाहिर करते हुए कहती हैं....." आपने उसकी कमजोरी ढूंढ ही ली ...."." हां चेताक्क्षी , उस दिव्य खंजर से ही गामाक्ष को मारा जा सकता है , लेकिन ध्यान रहे वो खंजर अदिति के हाथों में नहीं जाना चाहिए , उससे उस खंजर की शक्ति खत्म हो जाएगी और वो उस गामाक्ष को कुछ नहीं कर पाएगी...."आदित्य हैरानी से पूछता है......" लेकिन अदिति के छूने से क्या ...और पढ़े
The Risky Love - 33
पुराने किले में चलो..चेताक्क्षी मायुसी से कहती हैं....." ऐसा नहीं होना चाहिए , अगर विवेक को होश नहीं आया , अदिति को कोई नहीं बचा सकता....."अब आगे....................आदित्य परेशान सा चेताक्क्षी की तरफ देखते हुए कहता है....." नहीं चेताक्क्षी अदिति हम बचाएंगे , , विवेक तुम्हें उठना होगा....."अमोघनाथ जी विवेक पर गंगाजल छिड़कते हैं लेकिन किसी चीज का का फायदा विवेक पर नहीं हो रहा था , लेकिन उसके हाथों पैरों में हलचल शुरू होने लगी थी , चेहरे की भावभंगिमा बदल रही थी , वो बेहोशी में ही अपने सिर को इधर उधर घुमा रहा था...***********....गामाक्ष हाथ में खंजर ...और पढ़े
The Risky Love - 34
मुझे मेरी अदिति चाहिएउसके आकृषण से अदिति एक बार फिर से तड़प उठी जिससे एक तेज चीख के साथ किला गूंज उठा......अब आगे...............इस आवाज को सुनने के बाद आदित्य और विवेक और ज्यादा परेशान से हो जाते हैं....." चेताक्क्षी , ये अदि की आवाज थी , पता नहीं अदि को क्या किया उसने.. हमें जल्दी चलना चाहिए ,...." आदित्य घबराते हुए कहता है....." हां आदित्य , हमें लगता है उस गामाक्ष ने देहविहिन क्रिया शुरू कर दी है , अच्छा हुआ हम सही समय पर पहुंच गए , , अब किले के चारों तरफ एक सुरक्षा दीवार बन गई ...और पढ़े
The Risky Love - 35
गामाक्ष मारा गया लेकिन ये कौन है..?गामाक्ष हैरानी से उस सप्त शीर्ष वाले तारे को हैरानी से देखते हुए है...." ठीक है इसे फैंक दो...."लेकिन तभी उबांक कहता है......अब आगे.....…....उबांक गामाक्ष के पास आकर कहता है....." दानव राज , , ये कोई शक्ति कवच नहीं लगता , , ये तो साधारण सा तारा दिख रहा है , ......"गामाक्ष उबांक की बात सुनकर विवेक की तरफ देखते हुए कहता है......" तुम मेरे साथ छल कर रहे हो...."विवेक थोड़ा नर्वस हो जाता है लेकिन खुद को संभालते हुए सीरियस टोन में कहता है ......" ठीक है फिर , मैं इसे अपने ...और पढ़े
The Risky Love - 36
खंजर काला पड़ गया..चेताक्क्षी बेबस सी ये सब देखते हुए बेहोश हो गई थी......अब आगे.........विवेक अदिति को लेकर मंदिर पहुंचता है , , अमोघनाथ जी और देविका भोलेनाथ के सामने बैठे प्रार्थना कर रहे थे , , जैसे ही कदमों की आहट महसूस हुई देविका जी तुरंत मुड़कर देखती है , ,..." विवेक , ... अदिति...." देविका जी जल्दी से तख्त पर कपड़ा बिछाकर कहती हैं....." इसे यहां लेटा दो...." उसके बाद देविका जी उसके पीछे देखते हुए कहती हैं...." आदित्य कहां है...?..."विवेक अदिति को तख्त पर लेटाता हुआ कहता है....." भाई , चेताक्क्षी के साथ है , , ...और पढ़े
The Risky Love - 37
मैं बैताल जाती का राजा हूँ...अमोघनाथ जी मुस्कुराते हुए कहते हैं....." लेकिन अब भी हमारे पास एक उपाय है....."" क्या है बाबा..?..."अब आगे.............अमोघनाथ उन्हें बताते हैं....." आदिराज जी ने जो खंजर अपनी और अदिति की ऊर्जा से बनाया था वहीं, क्योंकि बेताल को अदिति के अलावा कोई नहीं मार सकता , , ये बात तुम जानती हो चेताक्क्षी , वनदेवी के अलावा उसे कोई नहीं मार सकता इसलिए उस खंजर से ही अदिति उस बेताल को खत्म कर सकती हैं......"विवेक टेंशन भरी आवाज में कहता है....." लेकिन अभी तो अदिति बेहोश हो , , उसे कबतक होश आएगा ये ...और पढ़े
The Risky Love - 38
क्या अदिति बैताल का सामना कर पायेगी..अदिति को धीरे धीरे होश आने लगा था लेकिन उसपर किसी का ध्यान था , सब बैचेनी से किसी न किसी काम में लगे हुए थे , ,अब आगे.........अदिति धीरे धीरे अपनी आंखें खोल चुकी थी, लेकिन कमजोर होने की वजह से उसकी नज़रों के सामने सबकुछ धुंधला सा नजर आ रहा था , ," भाई , विवेक...." ...अदिति की लड़खड़ाती हुई आवाज को सुनकर सबकी नजरें उसकी तरफ जाती है , विवेक और देविका जी जल्दी से उसके पास पहुंचते हैं......देविका जी जल्दी से उसके पास बैठकर उसक सिर पर हाथ फेरते ...और पढ़े