शहर की गलियों में उस दिन बरसात कुछ ज़्यादा ही बेक़रार थी... जैसे बादलों के पास कहने को बहुत कुछ हो और वो किसी से छुप-छुप कर रो रहे हों। काव्या, एक छतरी के बिना, बूँदों से भीगती चली जा रही थी। हाथों में एक पुरानी डायरी, जो अब आधी गीली हो चुकी थी, और दिल में कुछ टूटे हुए सपनों की स्याही फैली हुई थी। “बारिश को लोग romantic कहते हैं, पर मेरे लिए तो ये हर बार कुछ छीन कर ले जाती है…”, उसने मन ही मन बुदबुदाया।

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वो जो मेरा था - 1

"वो जो मेरा था.... Episode 1 – पहली मुलाकात: भीगी डायरी और अनजाने एहसास---शहर की गलियों में उस दिन कुछ ज़्यादा ही बेक़रार थी...जैसे बादलों के पास कहने को बहुत कुछ हो और वो किसी से छुप-छुप कर रो रहे हों।काव्या, एक छतरी के बिना, बूँदों से भीगती चली जा रही थी। हाथों में एक पुरानी डायरी, जो अब आधी गीली हो चुकी थी, और दिल में कुछ टूटे हुए सपनों की स्याही फैली हुई थी।“बारिश को लोग romantic कहते हैं, पर मेरे लिए तो ये हर बार कुछ छीन कर ले जाती है…”, उसने मन ही मन बुदबुदाया।---⏳ ...और पढ़े

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वो जो मेरा था - 2

"वो जो मेरा था..." Episode 2 – आरव की अधूरी कहानी और एक पुराने खत की वापसी---बारिश की वो जो एक टूटे हुए पन्ने और दो अनजान लोगों के बीच शुरू हुई थी… अब धीरे-धीरे एक कहानी का रूप ले रही थी।काव्या, जिसे अपने टूटे रिश्ते की टीस से उबरना बाकी था, अब एक नई नौकरी और नए शहर में खुद को साबित करने की जद्दोजहद में थी।वहीं आरव, जिसने दुनिया के लिए खुद को पत्थर बना रखा था — वो भी उस पन्ने की स्याही में डूबता जा रहा था।--- अगले दिन सुबह – ब्लू बेल पब्लिकेशन ऑफिसकाव्या ...और पढ़े

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वो जो मेरा था - 3

"वो जो मेरा था..." Episode 3 – अनलिखे पन्नों का पहला शब्द---कुछ कहानियाँ लिखी नहीं जातीं, बस जी ली हैं...और फिर एक दिन, जब वक्त उन्हें पढ़ता है, तो हर लम्हा एक नए किरदार की तरह सामने आता है।काव्या की ज़िंदगी अब एक नए मोड़ पर थी — एक अजनबी की अधूरी मोहब्बत, एक पुराना खत, और एक नई नौकरी जिसने उसे आरव मल्होत्रा से बाँध दिया था।--- अगली सुबह – ब्लू बेल पब्लिकेशन“Unwritten Letters” प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो चुका था। और उस प्रोजेक्ट का पहला लेखक और संपादक — काव्या।काव्या ने ऑफिस की खिड़की से बाहर देखा। ...और पढ़े

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वो जो मेरा था - 4

"वो जो मेरा था..." Episode 4 – पन्नों के पीछे छुपा सच---कभी-कभी कुछ पन्ने सिर्फ इसलिए अधूरे रह जाते वक़्त आने पर वो किसी और की कहानी बन सकें।आरव और काव्या के बीच अब एक अजीब-सा रिश्ता बनने लगा था।ना तो दोस्ती…ना ही मोहब्बत…पर एक गहराई थी, जो दोनों को एक-दूसरे की कहानियों से जोड़ रही थी।---️ सुबह – ब्लू बेल पब्लिकेशनबारिश अब भी चल रही थी… जैसे मौसम इस कहानी से बाहर निकलने को तैयार ही नहीं।काव्या ऑफिस पहुँची तो देखा — उसकी टेबल पर एक बंद फाइल रखी थी। उस पर लिखा था:“रिया – PERSONAL ARCHIVES”उसका दिल ...और पढ़े

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वो जो मेरा था - 5

"वो जो मेरा था..." Episode 5 – जहाँ रिया ने आख़िरी बार लिखा था… वहीं से शुरुआत---कभी-कभी कोई जगह ज़मीन का टुकड़ा नहीं होती…वो किसी की याद, किसी की आवाज़, और किसी की अधूरी कहानी की आख़िरी सांस होती है।आरव ने रात को जो मैसेज भेजा था —“कल सुबह 7 बजे तैयार रहना, तुम्हें एक जगह ले जाना है…”वो काव्या के दिल और दिमाग़ में घूमता रहा।कहाँ? क्यों? और किसलिए?--- अगली सुबह – मुंबई की हल्की सुबहकाव्या जब आरव की कार में बैठी, तो वो चुप था — हमेशा की तरह।लेकिन उसकी आँखों में एक अलग चमक थी।जैसे वो ...और पढ़े

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वो जो मेरा था - 6

"वो जो मेरा था..." Episode 6 – जब काव्या ने अपनी कहानी शुरू की...---"कुछ अधूरी कहानियाँ... पूरी नहीं होतीं, किसी और को पूरा कर जाती हैं।"काव्या के हाथों में रिया की अधूरी कहानी थी —और सामने आरव — जिसकी आँखों में अब सिर्फ रिया की परछाई नहीं, कुछ और भी दिखता था।---️ सुबह – ऑफिस की वही कॉफी, पर माहौल बदला हुआआरव और काव्या अब अजनबी नहीं थे।उनके बीच एक अनकही समझ थी —जैसे दोनों जानते थे कि वो एक-दूसरे की ज़िंदगी में क्यों आए हैं।काव्या ने धीरे से पूछा:“क्या मैं उस कहानी को पूरा कर सकती हूँ… जो ...और पढ़े

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वो जो मेरा था - 7

"वो जो मेरा था..." Episode 7 – Chapter Café में छुपा राज़---कभी-कभी कुछ ठिकाने सिर्फ मुलाक़ातों के लिए नहीं अधूरी कहानियों की आख़िरी सांसें भी बन जाते हैं।काव्या और आरव अब रिया के छोड़े हर संकेत के पीछे चल रहे थे — जैसे कोई अदृश्य डोर उन्हें उस अधूरे अंत तक खींच रही थी।---️ सुबह – Chapter Café का वो कोना“Chapter Café” मुंबई के सबसे पुराने बुक कैफे में से एक था।दीवारें किताबों से ढकी हुईं… खिड़कियों से हल्की धूप अंदर आती… और हवा में कॉफी के साथ स्याही की भी खुशबू घुली रहती।काव्या और आरव जब वहाँ पहुँचे, ...और पढ़े

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वो जो मेरा था - 8

"वो जो मेरा था..." Episode 8 – जब आरव ने काव्या के लिए पहली बार लिखा...---कभी-कभी किसी और की लिखते-लिखते, हम अपनी कहानी भी लिखना शुरू कर देते हैं।काव्या के लिए अब रिया सिर्फ एक कहानी नहीं थी, वो उसके अपने अंदर की एक आवाज़ बन चुकी थी।पर आज… कहानी का रुख बदलने वाला था।---️ सुबह – ब्लू बेल पब्लिकेशन, एक नई शुरुआतऑफिस में आज एक अजीब सी हलचल थी।“वो जो मेरा था…” के प्री-लॉन्च इवेंट की तैयारी जोरों पर थी।काव्या और आरव दोनों ने इस प्रोजेक्ट के हर पन्ने को दिल से जिया था।लेकिन आज, काव्या के लिए ...और पढ़े

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वो जो मेरा था - 9

"वो जो मेरा था..." Episode 9 – जब काव्या ने पहली बार आरव के लिए लिखा…---कहते हैं, लिखने वाला किसी के लिए लिखता है — चाहे नाम लिखे या न लिखे।काव्या ने अब तक अपने शब्दों में कई लोगों की कहानियाँ पिरोई थीं, लेकिन आज वो अपने शब्दों में "उस" को पिरोने वाली थी, जो अब सिर्फ उसकी कहानी का हिस्सा नहीं, बल्कि उसकी ज़िंदगी का पन्ना बन चुका था — आरव।---️ सुबह की शुरुआत – एक अनकहा इरादासुबह 6 बजे, खिड़की से आती हल्की सुनहरी धूप काव्या के चेहरे पर पड़ी।आज का दिन अलग था — उसके मन ...और पढ़े

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वो जो मेरा था - 10

"वो जो मेरा था..." Episode 10 – जब आरव ने पहली बार काव्या के लिए गाया…--- सुबह का इशारा एक अनजाना प्लानआरव सुबह से ही अलग लग रहा था।काव्या ने ध्यान दिया कि वो बार-बार अपनी घड़ी देख रहा है और फोन पर किसी से धीरे-धीरे बात कर रहा है।जब उसने पूछा, तो बस इतना बोला:आरव: “आज ऑफिस जल्दी मत जाना… मैं तुम्हें कहीं ले जाना चाहता हूँ।”काव्या: “कहाँ?”आरव: “सरप्राइज़… और हाँ, लाल रंग पहनना।”लाल रंग… काव्या के दिल में एक अजीब-सी धड़कन उठी।वो जानती थी कि आरव बिना मतलब ऐसे डिटेल्स नहीं देता।--- सफर – एक गहरी चुप्पीदोपहर ...और पढ़े

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वो जो मेरा था - 11

"वो जो मेरा था..." Episode 11 – जब अतीत का एक चेहरा लौट आया…1. एक अनचाही दस्तकउस शाम मुंबई हल्की-हल्की बारिश हो रही थी।काव्या बालकनी में बैठी, हाथ में चाय का कप और गोद में अधूरी किताब लिए, सोचों में डूबी थी।बारिश की ठंडी बूंदें हवा के साथ उसके चेहरे को छू रहीं थीं।उसे अच्छा लग रहा था, लेकिन मन में एक अजीब-सी बेचैनी भी थी — जैसे कुछ होने वाला हो।नीचे पार्किंग में हेडलाइट्स की रोशनी दिखी।वो पहचान गई — आरव की कार।लेकिन आज कार धीरे-धीरे, जैसे बोझिल होकर रुकी।ड्राइवर सीट से आरव उतरा, और उसके साथ कोई ...और पढ़े

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वो जो मेरा था - 12

"वो जो मेरा था..." Episode 12 – जब समर ने पहला वार किया…1. सुबह की चुप्पीसुबह मुंबई का आसमान था, बादल नीचा झुके हुए, जैसे शहर पर कोई बोझ डाल रहे हों।काव्या किचन में कॉफ़ी बना रही थी, लेकिन उसकी नज़रें दरवाज़े की ओर बार-बार जा रही थीं।आरव अब तक अपने कमरे से बाहर नहीं आया था।क्या वो रात की बात सोच रहा है? या फिर…ये सवाल काव्या को अंदर तक परेशान कर रहे थे।---2. अख़बार की हेडलाइन – पहला झटकाडोरबेल बजी।पेपर वाला अख़बार छोड़कर चला गया।काव्या ने जैसे ही अख़बार खोला, फ्रंट पेज पर एक हेडलाइन चुभ गई ...और पढ़े

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वो जो मेरा था - 13

"वो जो मेरा था..." Episode 13 – काव्या का सबसे खतरनाक फैसला…1. रात का तूफ़ानमुंबई की वो रात बेचैन देने वाली थी।बारिश खिड़की पर लगातार थपथपा रही थी, जैसे कोई अंदर आने के लिए दरवाज़ा पीट रहा हो।काव्या कमरे में टहल रही थी, उसकी नज़र बार-बार अपने मोबाइल पर जा रही थी।समर का नंबर सेव नहीं था, लेकिन उसका भेजा हुआ मैसेज स्क्रीन पर चमक रहा था:"कल दोपहर 3 बजे, होटल ब्लू वेव – रूम 120। अगर सच जानना चाहो तो आ जाना।"काव्या का दिल तेज़ धड़क रहा था।क्या मैं सच में जाऊँ? क्या ये आरव के खिलाफ एक ...और पढ़े

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वो जो मेरा था - 14

"वो जो मेरा था..." – Episode 14---सांझ ढल चुकी थी। शहर की रोशनियाँ जैसे आसमान के तारे ज़मीन पर आई हों। अराव अपनी कार धीमे-धीमे समुद्र किनारे ले आया था। हवाओं में नमी थी, लहरों की आवाज़ दिल की धड़कनों जैसी लग रही थी। कार से उतरते ही उसने गहरी साँस ली और दूर खड़ी कव्या को देखा।कव्या बालों को हवा से बचाने की नाकाम कोशिश कर रही थी। उसकी सफेद ड्रेस पर नीले आसमान की परछाई पड़ रही थी। वह उस वक़्त इतनी खूबसूरत लग रही थी कि अराव का दिल जैसे उसी पल रुक गया हो।"इतनी देर ...और पढ़े

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वो जो मेरा था - 15

"वो जो मेरा था..."एपिसोड – 15हवा में ठंडी नमी थी, मानो मौसम खुद उनके रिश्ते की हलचल को महसूस रहा हो। बारिश की हल्की बूँदें खिड़की पर गिर रही थीं और काव्या खामोशी से सोफ़े पर बैठी हुई थी। उसकी आँखों में अब भी वो अनकहे सवाल थे जो पिछले कुछ दिनों से उसके दिल को खाए जा रहे थे। आरव कमरे में आया, हाथ में दो कॉफी मग लिए।आरव (नर्मी से): "कॉफी पीओगी?… पता है, तुम्हें स्ट्रॉन्ग कॉफी पसंद है।"काव्या ने उसकी तरफ़ देखा, होंठों पर हल्की सी मुस्कान आई पर अगले ही पल वो गायब हो ...और पढ़े

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वो जो मेरा था - 16

"वो जो मेरा था..." एपिसोड – 16---शहर की रात, सड़क पर बिखरी पीली लाइटें, और गाड़ी के अंदर पसरी और काव्या दोनों के लिए यह सफ़र आसान नहीं था। रिया का नाम उनके बीच एक ऐसी दीवार बन चुका था, जिसे पार करना अब मुश्किल लग रहा था।काव्या खिड़की से बाहर देख रही थी। उसके दिल में एक अनजाना डर था। उसे लग रहा था कि कहीं उसकी ज़िंदगी में फिर से वही अँधेरा न उतर आए, जिससे निकलने में उसे सालों लग गए थे।आरव ने उसकी ओर देखा। उसकी आँखों में बेचैनी साफ़ झलक रही थी।आरव (धीमे ...और पढ़े

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वो जो मेरा था - 17

"वो जो मेरा था..." एपिसोड – 17---फार्महाउस की रात हमेशा शांत होती थी, लेकिन उस रात सन्नाटा किसी तूफ़ान पहले की चेतावनी जैसा था। हवा अजीब-सी ठंडी थी और बाहर पेड़ों के बीच से आती सरसराहट मानो किसी खतरे की आहट सुना रही थी।काव्या बच्ची को अपनी गोद में लिए सोफ़े पर बैठी थी। उसकी आँखें बार-बार दरवाज़े की ओर उठ जातीं, जैसे हर पल किसी परछाईं से डर रही हों। आरव खिड़की से बाहर देख रहा था, चेहरा तनाव से भरा हुआ।काव्या (धीरे से): "आरव… तुम्हें सच में लगता है कि वो लोग हमें ढूँढ लेंगे?"आरव ने ...और पढ़े

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वो जो मेरा था - 18

"वो जो मेरा था..." एपिसोड – 18---रात का अंधेरा अभी पूरी तरह छंटा भी नहीं था कि फार्महाउस के फिर हलचल शुरू हो गई। हल्की-हल्की बूँदाबाँदी हो रही थी, बादल गरज रहे थे और हर गड़गड़ाहट मानो किसी अनहोनी का संकेत दे रही थी।काव्या की आँखें नींद से बोझिल थीं लेकिन जैसे ही उसने दरवाज़े के पास हल्की-सी आहट सुनी, उसका दिल धक से रह गया। उसने धीरे से बच्ची को बिस्तर पर सुलाया और बाहर झाँका। आरव पहले से ही चौकन्ना खड़ा था।काव्या (धीरे से): "फिर से वही लोग?"आरव की नज़रें तेज़ थीं।आरव: "हाँ… लेकिन इस बार ...और पढ़े

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