"कभी-कभी कुछ लोग ज़िंदगी में यूँ दाख़िल होते हैं जैसे हवा— वे नज़र तो नहीं आते, मगर महसूस होते हैं।" कॉलेज का पहला दिन था। नई जगह, नए चेहरे, और पुराने ख़्याल जो मन में उथल-पुथल मचाए बैठे थे। भीड़ के बीच मैं खड़ी थी — अपनी ही उलझनों में लिपटी, जब मेरी नज़र उससे टकराई। वो लड़का, जो क्लास की सबसे पिछली बेंच पर बैठा था, किताबें उसके सामने पड़ी थीं मगर उसकी निगाहें दूर खिड़की से बाहर देख रही थीं । उसकी खामोश निगाहें किसी की जिज्ञासा बढ़ा रही थीं जैसे कुछ कह रही हों । उसका चेहरा उस स्याह की तरह था जिसके अंदर कोई कहानी सांस ले रही हो जिसका शीर्षक समझना कठिन लग रहा था। पहली बार मुझे किसी की ख़ामोशी में इतनी आवाज़ सुनाई दी थी। इतनी... कि उसकी तस्वीर किसी विषय की तरह आज मेरे मन में बैठ गई।
टीस - पहली बार देखा था उसे - 1
एपिसोड 1शीर्षक: पहली बार देखा था उसे... "हर बार जब मैं उसके करीब जाने की कोशिश करती, वो एक क़दम हो जाता। वो बहुत कम बोलता था। पर जब भी कुछ कहना चाहता उसकी आंखें पहले बोल पड़ती थीं।" एक दिन मैंने उससे पूछ ही लिया.... ...और पढ़े
टीस - पहली बार देखा था उसे - 2
Episode -2 (निगाहें एक ही तस्वीर....)ख़्वाबों को निगाहों से कोई दूर नहीं कर सकतामगर ये सच है निगाहें ख़ुद पूरा नहीं कर सकतींमेरी ख़ुद की वर्तमान परिस्थिति को समझना बड़ा मुश्किल लग रहा था। जिस राह पर मैने कदम बढ़ाए थे क्या वो मेरी हमनवा है भी ? और अगर है तो कितनी दूर तक...?मैं अपनी इन हसरतों को हर रात नींद से पहले सुला देती मगर मेरे जगते ही ये पलकों पे फ़िर उम्मीद बनकर संवर जातींमैं इन दिनों जिस कल्पना भरी दुनिया में थी उसका सिर्फ़ एक ही हक़ीक़त था और वो था वो लड़का "साहिल"। उसके ...और पढ़े
टीस - पहली बार देखा था उसे - 3
"ज़िंदगी कभी-कभी वो सवाल पूछती है जिसका जवाब किताबों में नहीं मिलता...मगर आँखें सब बयां कर देती हैं "कॉलेज वो दिन किसी और ही तरह शुरू हुआ था। मेरे अंदर कुछ बदल रहा था — शायद धीरे-धीरे....और बिन बताए.... ।लाइब्रेरी का वही कोना, वही खिड़की जहाँ से साहिल नज़र आता था, ये आज भी वही थे और वहीं थे। मगर आज कुछ अलग था... हर दिन से अलग। शायद कुछ इस तरह -- आज कुछ हसरतें थींजो पलने लगी थीं... कुछ ख़्वाब थेजिन्हें मैं संजोने लगी थी...कुछ उम्मीद थी, जो चाहत बनकरमेरी सांसों में उतरने लगी थी... ये एहसास ...और पढ़े