मदरसे के सहन में, जहाँ बचपन की बेफिक्रियाँ रक़्स करती थीं, आरिफ़ की निगाहें अक्सर एक नूरानी चेहरे पर ठहर जाती थीं - ज़ोया। ज़ोया, अपनी हया और सादगी में बे-मिसाल थी। आरिफ़, जो अपनी खामोशी और कम-सुख़नी के लिए जाना जाता था, उसकी एक झलक पाने के लिए बेक़रार रहता। वह घंटों कुतुबखाने में किताबों के पीछे छुपकर उसे देखता, उसकी पुर-कशिश हँसी सुनने के लिए तरसता। लेकिन कभी यार-ए-जिगर न जुटा पाया कि दो लफ़्ज़ उससे कह सके। ज़ोया भी, अपनी निगाहें चुराती हुई, आरिफ़ की मौजूदगी को महसूस करती थी। उसकी संजीदगी और गहरी आँखें उसे कुछ ख़ास लगती थीं। वह चाहती थी कि वह उससे गुफ़्तगू करे, अपने दिल की बात कहे, मगर उसकी ज़बान भी शायद किसी ना-मालूम बंदिश में जकड़ी हुई थी।

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मोहब्बत एक बदला - भाग 1 - 2

भाग 1: पहली निगाहमदरसे के सहन में, जहाँ बचपन की बेफिक्रियाँ रक़्स करती थीं, आरिफ़ की निगाहें अक्सर एक चेहरे पर ठहर जाती थीं - ज़ोया। ज़ोया, अपनी हया और सादगी में बे-मिसाल थी। आरिफ़, जो अपनी खामोशी और कम-सुख़नी के लिए जाना जाता था, उसकी एक झलक पाने के लिए बेक़रार रहता। वह घंटों कुतुबखाने में किताबों के पीछे छुपकर उसे देखता, उसकी पुर-कशिश हँसी सुनने के लिए तरसता। लेकिन कभी यार-ए-जिगर न जुटा पाया कि दो लफ़्ज़ उससे कह सके।ज़ोया भी, अपनी निगाहें चुराती हुई, आरिफ़ की मौजूदगी को महसूस करती थी। उसकी संजीदगी और गहरी आँखें ...और पढ़े

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मोहब्बत एक बदला - भाग 3 - 4

भाग 3: फ़ासलाज़ोया के लबों पर आए हुए अल्फ़ाज़ सुनकर आरिफ़ का दिल ज़ोर से धड़कने लगा। वह बेक़रारी उसकी तरफ़ देखने लगा, उसके हर लफ़्ज़ को सुनने के लिए मुंतज़िर था। लेकिन ज़ोया की आँखों में एक अजीब सी उदासी थी।"आरिफ़," उसने आहिस्ता आवाज़ में कहा, "मेरे घर वाले... वह मेरी शादी कहीं और तय कर रहे हैं।"आरिफ़ के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। यह वह बात थी जो वह कभी सुनना नहीं चाहता था। उसकी दुनिया लम्हा भर में बिखर गई। वह ज़ोया की आँखों में देखता रहा, जैसे यक़ीन करने की कोशिश कर रहा हो कि ...और पढ़े

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मोहब्बत एक बदला भाग 5 - 6

भाग 5: इक़रारआरिफ़ और ज़ोया एक दूसरे को देखते रहे, उनकी आँखें उनके दिल की दास्तान बयाँ कर रही आरिफ़ ने आगे बढ़कर ज़ोया का हाथ अपने हाथों में लिया। उसके लम्स से दोनों के दिलों में एक लहर सी दौड़ गई।"ज़ोया," आरिफ़ ने आहिस्ता आवाज़ में कहा, "मैं... मैं तुम्हें कभी नहीं भूल पाया। मेरी ज़िंदगी का हर लम्हा तुम्हारी यादों से मामूर रहा।"ज़ोया की आँखों से अश्क बहने लगे। "आरिफ़," उसने भरे गले से कहा, "मैंने भी तुम्हें कभी नहीं भुलाया। तुम... तुम मेरी पहली और आख़िरी मोहब्बत हो।"उनकी खामोशी में भी एक दूसरे के लिए बे-पनाह ...और पढ़े

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मोहब्बत एक बदला भाग 7

भाग 7: इंतज़ारज़ोया के जाने के बाद, आरिफ़ की ज़िंदगी एक ठहरी हुई झील की तरह शांत और उदास गई थी। घर की हर चीज़ उसे ज़ोया की याद दिलाती थी - रसोई में उसकी पसंदीदा चाय की प्याली, बैठक में उसकी बुनी हुई शॉल, और आँगन में उसके लगाए हुए गुलाब के पौधे, जो अब भी हर मौसम में खिलते थे, मानो उसकी याद को ताज़ा करते हों।बच्चों ने आरिफ़ को संभालने की बहुत कोशिश की। वे उसके पास बैठते, उससे बातें करते, और उसे पुरानी तस्वीरें दिखाते, जिनमें ज़ोया की हँसी गूँजती हुई महसूस होती थी। लेकिन ...और पढ़े

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