दिल ने जिसे चाहा

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मैं यह कहानी दोबारा लिख रही हूँ, लेकिन इस बार बिल्कुल वैसे, जैसे मैंने इसे अपने दिल में महसूस किया था। मेरी पहले की कहानी "दिल से दिल तक: एकतरफा सफर" से यह काफी मिलती-जुलती होगी, लेकिन इस बार यह और गहरी होगी, और भी ज्यादा भावनाओं से भरी हुई। यह वही कहानी है, लेकिन अब मैं इसे वैसे शब्दों में पिरोऊँगी, जैसे मैंने इसे अपने मन में जिया था—हर एहसास को, हर भावना को और भी खूबसूरती से व्यक्त करते हुए। कुछ किस्से वही रहेंगे, लेकिन इस बार वे और ज्यादा जीवंत होंगे, क्योंकि मैं इसे केवल लिख नहीं रही, बल्कि जी रही हूँ।

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दिल ने जिसे चाहा - 1

मैं यह कहानी दोबारा लिख रही हूँ, लेकिन इस बार बिल्कुल वैसे, जैसे मैंने इसे अपने दिल में महसूस था। मेरी पहले की कहानी "दिल से दिल तक: एकतरफा सफर" से यह काफी मिलती-जुलती होगी, लेकिन इस बार यह और गहरी होगी, और भी ज्यादा भावनाओं से भरी हुई।यह वही कहानी है, लेकिन अब मैं इसे वैसे शब्दों में पिरोऊँगी, जैसे मैंने इसे अपने मन में जिया था—हर एहसास को, हर भावना को और भी खूबसूरती से व्यक्त करते हुए। कुछ किस्से वही रहेंगे, लेकिन इस बार वे और ज्यादा जीवंत होंगे, क्योंकि मैं इसे केवल लिख नहीं रही, ...और पढ़े

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दिल ने जिसे चाहा - 2

रुशाली की ज़िंदगी उतनी ही सादी थी, जितनी उसकी सोच। न उसे बनावटी खूबसूरती की फिक्र थी, न ही चिंता कि कोई उसे पसंद करता है या नहीं। लेकिन कहीं न कहीं, उसके दिल के किसी कोने में एक ख्वाहिश जरूर थी—एक ऐसे प्यार की, जो सिर्फ उसकी सादगी के लिए हो, न कि उसकी शक्ल-सूरत के लिए।रुशाली अक्सर सोचती की शायद कोई होता जो उसके लिए छोटी-छोटी चीज़ें करता, बस इस उम्मीद में कि वो नोटिस कर लें। लेकिन रुशाली के लिए ऐसा कोई नहीं था।उसने कई बार फिल्मों में देखा था कि कोई हीरोइन बारिश में भीगते ...और पढ़े

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