पहली मुलाकात - एक प्रेम कहानी

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वो दिन एक आम दिन जैसा ही था, लेकिन शायद किस्मत ने मेरे लिए कुछ खास तैयार कर रखा था। मैं अपने कॉलेज के पहले दिन के लिए बेहद उत्साहित था। नई जगह, नए दोस्त, और एक नई शुरुआत का सपना लेकर मैं कैंपस में पहुंचा। चारों तरफ लड़के-लड़कियां अपने दोस्तों के साथ हंसते-खिलखिलाते नजर आ रहे थे। कुछ चेहरे घबराए हुए थे, तो कुछ आत्मविश्वास से भरे। मैं भी अपने आप को शांत और सामान्य दिखाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अंदर से दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। पहली क्लास शुरू होने से पहले मैं लाइब्रेरी की तरफ चला गया। वहां का माहौल बेहद शांत और सुकूनभरा था। मैं एक किताब लेने के लिए शेल्फ के पास गया। जैसे ही मैंने हाथ बढ़ाया, उसी समय एक लड़की ने भी वही किताब पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया। हमारी उंगलियां हल्के से टकराईं। उसने झट से हाथ पीछे खींच लिया और मुझसे नजरें मिलाईं।

Full Novel

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पहली मुलाकात - एक प्रेम कहानी - भाग 1

वो दिन एक आम दिन जैसा ही था, लेकिन शायद किस्मत ने मेरे लिए कुछ खास तैयार कर रखा मैं अपने कॉलेज के पहले दिन के लिए बेहद उत्साहित था। नई जगह, नए दोस्त, और एक नई शुरुआत का सपना लेकर मैं कैंपस में पहुंचा। चारों तरफ लड़के-लड़कियां अपने दोस्तों के साथ हंसते-खिलखिलाते नजर आ रहे थे। कुछ चेहरे घबराए हुए थे, तो कुछ आत्मविश्वास से भरे। मैं भी अपने आप को शांत और सामान्य दिखाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अंदर से दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।पहली क्लास शुरू होने से पहले मैं लाइब्रेरी की तरफ ...और पढ़े

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पहली मुलाकात - एक प्रेम कहानी - भाग 2

शादी के लिए घरवालों से बातराधिका से दूसरी बार मिलने के बाद हमारी जिंदगी फिर से बदल गई। हम ने तय कर लिया था कि अब हम एक-दूसरे से दूर नहीं रहेंगे। प्यार तो पहले से था, लेकिन अब इसे एक नाम देने की जरूरत थी। हमने शादी का फैसला कर लिया। लेकिन ये इतना आसान भी नहीं था।मेरे घरवालों के लिए ये खबर चौंकाने वाली थी। मैं एक छोटे से शहर के पारंपरिक परिवार से था, जहां परिवार की पसंद को ज्यादा महत्व दिया जाता था। वहीं राधिका का परिवार भी कुछ ऐसा ही था, जो जात-पात और ...और पढ़े

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पहली मुलाकात - एक प्रेम कहानी - भाग 3

एक सुखद एहसाससमय गुजरता गया, और राधिका हमारे परिवार का अभिन्न हिस्सा बन गई। उसकी मौजूदगी ने घर को नई ऊर्जा और खुशियों से भर दिया। वो घर के हर सदस्य के साथ अपने रिश्ते को निभाने में इतनी सहज थी कि किसी को ये महसूस नहीं होता था कि वो नई है।मेरी नौकरी में तरक्की हुई, लेकिन असली खुशी तब मिलती थी जब दिन के अंत में घर लौटकर राधिका के मुस्कुराते हुए चेहरे को देखता। वो मेरी हर मुश्किल में मेरा सहारा बनती, और मैं उसकी हर छोटी-बड़ी जरूरत में उसके साथ खड़ा रहता।हम दोनों ने मिलकर ...और पढ़े

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