कुछ रंग प्यार के ऐसे भी

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मुंबई शहर के आलिशान 'Queen Hotel' जो कि बहुत ही खुबसूरत था। enterance पर गार्डन जिसमे rare varieties के कई फूल और पौधे थे। जो उसकी खूबसूरती को चांद चांद लगा रहे थे। बड़े बड़े कमरे थे। परन्तु मीरा को वहां का नज़ारा देख एक घुटन सी हो रही हैं। अब आप सोच रहे होंगे ऐसा क्या देखा मीरा ने? दरसल सामने एक औरत किसी आदमी की बाहो में लपेटे अपने सिर को उसकी छाती से टीकाए बहुत ही प्यार और धीरे से बोलती हैं-"नीरज कुलश्रेष्ठ "। पर वो आदमी जैसे कही गुम था। पता नही क्या चल रहा था उसके दिमाग में। पर थोडी देर बाद वो उस औरत को धीरे से अपनी और धकेलता हैं। मीरा यह छुपके से देख रही थी। दरसल वो इस होटल में अपनी दोस्त नेहा के साथ आई थी। तब मीरा ने दोनो को एक साथ देखा। जैसे ही नीरज की नज़रे वहा जाती हैं जहां मीरा थी, मीरा जल्दी से छिप जाती हैं।

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कुछ रंग प्यार के ऐसे भी - भाग 1

मुंबई शहर के आलिशान 'Queen Hotel' जो कि बहुत ही खुबसूरत था। enterance पर गार्डन जिसमे rare varieties के फूल और पौधे थे। जो उसकी खूबसूरती को चांद चांद लगा रहे थे। बड़े बड़े कमरे थे।परन्तु मीरा को वहां का नज़ारा देख एक घुटन सी हो रही हैं। अब आप सोच रहे होंगे ऐसा क्या देखा मीरा ने? दरसल सामने एक औरत किसी आदमी की बाहो में लपेटे अपने सिर को उसकी छाती से टीकाए बहुत ही प्यार और धीरे से बोलती हैं-"नीरज कुलश्रेष्ठ "।पर वो आदमी जैसे कही गुम था। पता नही क्या चल रहा था उसके दिमाग ...और पढ़े

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