‘‘हर्ष,अब क्या होगा?’’ आभा ने कराहते हुए पूछा. उस की आंखों में भय साफसाफ देखा जा सकता था. उसे अपनी चोट से ज्यादा आने वाली परिस्थिति को ले कर घबराहट हो रही थी. ‘‘कुछ नहीं होगा… मैं हूं न, तुम फिक्र मत करो…’’ हर्ष ने उस के गाल थपथपाते हुए कहा. मगर आभा चाह कर भी मुसकरा नहीं सकी. हर्ष ने उसे दवा खिला कर आराम करने को कहा और खुद भी उसी बैड के एक किनारे अधलेटा सा हो गया. आभा शायद दवा के असर से नींद के आगोश में चली गई, मगर हर्र्ष के दिमाग में कई उल झनें एकसाथ चहलकदमी कर रही थी…

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दिल से दिल तक- 1

दिल से दिल तक: शादीशुदा आभा के प्यार का क्या था अंजाम (Part-1)‘‘हर्ष,अब क्या होगा?’’ आभा ने कराहते हुए उस की आंखों में भय साफसाफ देखा जा सकता था. उसे अपनी चोट से ज्यादा आने वाली परिस्थिति को ले कर घबराहट हो रही थी.‘‘कुछ नहीं होगा… मैं हूं न, तुम फिक्र मत करो…’’ हर्ष ने उस के गाल थपथपाते हुए कहा.मगर आभा चाह कर भी मुसकरा नहीं सकी. हर्ष ने उसे दवा खिला कर आराम करने को कहा और खुद भी उसी बैड के एक किनारे अधलेटा सा हो गया. आभा शायद दवा के असर से नींद के आगोश ...और पढ़े

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दिल से दिल तक- 2

(Part-2)कालेज के आखिरी दिनों में ही हर्ष उस से कुछ खिंचाखिंचा सा रहने लगा था और फिर फाइनल ऐग्जाम होतेहोते बिना कुछ कहेसुने हर्ष उस की जिंदगी से चला गया. कितना ढूंढ़ा था उस ने हर्ष को, मगर किसी से भी उसे हर्ष की कोई खबर नहीं मिली. आभा आज तक हर्ष के उस बदले हुए व्यवहार का कारण नहीं सम झ पाई थी.धीरेधीरे वक्त अपने रंग बदलता रहा. डौक्टरेट करने के बाद आभा स्थानीय गर्ल्स कालेज में लैक्चरर हो गई और अपने विगत से लड़ कर आगे बढ़ने की कोशिश करने लगी. इस बीच आभा ने अपने पापा ...और पढ़े

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दिल से दिल तक- 3

(Part-3)‘‘फोन का इंतजार ही कर रहे थे क्या?’’ आभा हंसी तो हर्ष को भी अपने उतावलेपन पर आश्चर्य हुआ.बातें कब 1 घंटा बीत गया, दोनों को पता ही नहीं चला. आभा की क्लास का टाइम हो गया, वह पीरियड लेने चली गई. वापस आते ही उस ने फिर हर्ष को फोन लगाया… और फिर वही लंबी बातें… दिन कैसे गुजर गया पता ही नहीं चला… देर रात तक दोनों व्हाट्सऐप पर औनलाइन रहे और सुबह उठते ही फिर वही सिलसिला…अब तो यह रोज का नियम ही बन गया. न जाने कितनी बातें थीं उन के पास जो खत्म होने ...और पढ़े

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दिल से दिल तक- 4

(part-4)हर्ष के अपनेआप से तर्क अब तक भी जारी थे. वह 2 कदम आगे बढ़ता और अगले ही पल कदम पीछे हट जाता. वह आभा का साथ तो चाहता था, मगर समाज में दोनों की ही प्रतिष्ठा को भी दांव पर नहीं लगाना चाहता था. उसे डर था कि कहीं ऐसा न हो वह एक बार मिलने के बाद आभा से दूर ही न रह पाए. फिर क्या करेगा वह? मगर आभा अब मन ही मन एक ठोस निर्णय ले चुकी थी.4 मार्च आने वाला था. आभा ने हर्ष को याद दिलाया कि पिछले साल इसी दिन वे दोनों ...और पढ़े

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