**दोहा**: *जुगत भीड़ाई काग नै पी लिया घड़े से नीर। प्रयत्न कर ऐ मानव तू मत रह खड़ा अधीर।।* **साहित्यिक विवेचन**: इस दोहे में कवि ने जीवन में जुगत (चतुराई) और प्रयत्न के महत्व को रेखांकित किया है। कौए का उदाहरण देकर, कवि यह संदेश देता है कि कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और चतुराई से काम लेने पर सफलता प्राप्त की जा सकती है। मनुष्य को प्रेरित किया गया है कि वह अधीर न हो, बल्कि अपनी बुद्धि और प्रयत्न से समस्या का समाधान निकाले। आइए इसका विस्तार से साहित्यिक विवेचन करते हैं:
दोहें का साहित्यिक विवेचन - 1
दोहा : जुगत भीड़ाई काग नै पी लिया घड़े से नीर।प्रयत्न कर ऐ मानव तू मत रह खड़ा साहित्यिक विवेचन :इस दोहे में कवि ने जीवन में जुगत (चतुराई) और प्रयत्न के महत्व को रेखांकित किया है। कौए का उदाहरण देकर, कवि यह संदेश देता है कि कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और चतुराई से काम लेने पर सफलता प्राप्त की जा सकती है। मनुष्य को प्रेरित किया गया है कि वह अधीर न हो, बल्कि अपनी बुद्धि और प्रयत्न से समस्या का समाधान निकाले। आइए इसका विस्तार से साहित्यिक विवेचन करते हैं: विषय-वस्तु :इस दोहे की ...और पढ़े
दोहें का साहित्यिक विवेचन - 2
तेरा मेरा सब कहें,सब का कहे ना कोई।जो सबको सबका कहे, प्रभु प्यारा सोई।।इस दोहे का साहित्यिक विवेचन ।।@ दोहे में एक गूढ़ दार्शनिक और आध्यात्मिक संदेश है। यहाँ "तेरा" और "मेरा" के माध्यम से भेदभाव और स्वार्थ की भावना की ओर संकेत किया गया है, जो मनुष्य के अहंकार से जुड़ी होती है। दोहे का पहला भाग "तेरा मेरा सब कहें, सब का कहे ना कोई" इस बात पर प्रकाश डालता है कि लोग अक्सर चीजों को अपने और दूसरों के बीच विभाजित करते हैं—अपने और पराए का भेद करते हैं। यह स्वार्थ और व्यक्तिवाद को दिखाता है, ...और पढ़े