राजकुमार अर्जुन इस समय अपना धनुष हाथ में लिए सजग मुद्रा में खड़ा था। अर्जुन को सूचना मिली थी कि खांडवप्रस्थ के इस भयंकर वन में रक्षा नाग दैत्य और डाकू रहते हैं। आज अर्जुन शुभ मुहूर्त में इस वन की तरफ आया था। उसका विचार आज इस वन को नष्ट करके इन सभी दुष्ट आत्माओं का नाश करना था। अर्जुन ने वन के एक कोने पर आग लगा दी। गर्मी का महीना था। आग धीरे धीरे भयंकर रूप पकड़ गई और सारा जंगल जलने लगा। अर्जुन अब थोड़ी ऊंचाई पर खड़ा हो गया।
इंद्रप्रस्थ - 1
इंद्रप्रस्थ राजकुमार अर्जुन इस समय अपना धनुष हाथ में लिए सजग मुद्रा में खड़ा था। अर्जुन को सूचना मिली कि खांडवप्रस्थ के इस भयंकर वन में रक्षा नाग दैत्य और डाकू रहते हैं। आज अर्जुन शुभ मुहूर्त में इस वन की तरफ आया था। उसका विचार आज इस वन को नष्ट करके इन सभी दुष्ट आत्माओं का नाश करना था। अर्जुन ने वन के एक कोने पर आग लगा दी। गर्मी का महीना था। आग धीरे धीरे भयंकर रूप पकड़ गई और सारा जंगल जलने लगा। अर्जुन अब थोड़ी ऊंचाई पर खड़ा हो गया। उसे अब पूरा वन दिखाई ...और पढ़े
इंद्रप्रस्थ - 2
परम पराक्रमी युधिष्ठिर नगरी के राजा बने। भीम मुख्य सेनापति बने। अर्जुन नकुल सहदेव मंत्री बने। युधिष्ठिर के राज्य सब सुखी थे। अगल-बगल के गरीब लोग भी आकर युधिस्ठिर की नगरी में बस गये। वहां जाकर वे भी खुशहाल और सुखी हो गये। सभी चारों भाइयों ने युधिस्टिर को अपना राज्य बढ़ाने की सलाह दी। श्री कृष्ण का वरद हस्त इन पांचो भाइयों के सर पर था। युधिष्ठिर ने इंद्रप्रस्थ की कमान संभाली और चारों भाइयों को चारों दिशाओं को जीतने के लिए भेज दिया। कुछ दिनों में ही परमपराक्रमी इन चारों भाइयों ने सारे विश्व को जीत लिया। ...और पढ़े