.......... कैसी हो तुम..? मैं ठीक हूं. कहते हुए नीलिमा ने ,नारंग के सवाल का जवाब दे दिया। आजकल व्यस्त रहने लगी हो..? नीलिमा..? हा..यार अब इन बातों में मन नहीं रहा.. काम का प्रेशर इतना है कि , बहुत समय कम मिल पाता है। हम बाद में बात करते है....कहते हुए नीलिमा ने नारंग से विदा ली। "नीलिमा", बेहद ही महत्त्वाकांक्षी और संवेदन शील व्यक्तित्व की "धनी" होने के साथ साथ अपने सपनो की ,उड़ान को किसी भी स्तर पर हासिल करने का जज्बा रखने वाली लड़की थी।परिश्रम के तौर पर आज उसने बड़ा मुकाम हासिल किया था। वही दूसरी ओर नारंग मस्तमौला किस्म का युवक था। दोनों में गहरी दोस्ती थी। दिन बीतते जाते है। और हर एक कहानी की तरह भी इसमें , नारंग को नीलिमा से प्यार हो जाता है।

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.... जाल - 1

........... कैसी हो तुम..? मैं ठीक हूं. कहते हुए नीलिमा ने ,नारंग के सवाल का जवाब दे दिया।आजकल व्यस्त लगी हो..?नीलिमा..?हा..यार अब इन बातों में मन नहीं रहा..काम का प्रेशर इतना है कि ,बहुत समय कम मिल पाता है।हम बाद में बात करते है....कहते हुए नीलिमा ने नारंग से विदा ली। नीलिमा , बेहद ही महत्त्वाकांक्षी और संवेदन शील व्यक्तित्व की धनी होने के साथ साथ अपने सपनो की ,उड़ान को किसी भी स्तर पर हासिल करने का जज्बा रखने वाली लड़की थी।परिश्रम के तौर पर आज उसने बड़ा मुकाम हासिल किया था।वही दूसरी ओर नारंग मस्तमौला किस्म का युवक ...और पढ़े

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.... जाल - 2

...मेरे..वक्त की हसीन लम्हो की, तुम वो किताब हो,जिसके हर एक पन्ने पर नाम है .."तुम्हारा"।कहा से ढूंढकर लाते .. इतने सारे शब्द...?नीलिमा ने पूछा ।जी ....शुक्रिया कहते हुए नारंग ने कहा....ये तो यही है,बस आप को देखकर सूझ रहे है...नीलिमा...अच्छा जी।जी...मैं तो बस अहसास लिखता हूं।जो कही खो जाते है।बस उन्हें समेटकर लाता हूं।और अपने "शब्दों" में पिरोकर उनकी "माला" बनाता हूं जी......अपने व्यस्त हो रहे काम में नारंग से बात करना नीलिमा को सुकून देता था।इन्ही सारी बातों से तो ,वह सबको मोहित कर लेता था। किसी से अपनी स्तुति को सुनकर आखिर आनंद की प्राप्ति किसे ...और पढ़े

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