ये मेरी पहली कहानी है! मातृभारती पर! अगर कोई भी गलती हुई हो तो मैं क्षमाप्रार्थी हूँ ! गुटखा चबाते हुये बड़े ही स्टाईल से जब चरणनन्दन ने घर में प्रवेश लिया तभी अचानक से उसके सिर पर एक प्लास्टिक का सख्त मटमैला जूता आकर "ठक" की आवाज से लगा और "धडाक" की आवाज के साथ ही चरणनन्दन के चरणों के पास गिर गया। इतना कांड होने के बाद चरणनन्दन कुछ सोच पाता तब तक घर के अंदर से फटे ढोल सी आवाज उसके कानो से टकराई जो कुछ इस प्रकार थी "
चरणनंदन का अभिनंदन - 1
ये मेरी पहली कहानी है! मातृभारती पर! अगर कोई भी गलती हुई हो तो मैं क्षमाप्रार्थी हूँ ! गुटखा हुये बड़े ही स्टाईल से जब चरणनन्दन ने घर में प्रवेश लिया तभी अचानक से उसके सिर पर एक प्लास्टिक का सख्त मटमैला जूता आकर "ठक" की आवाज से लगा और "धडाक" की आवाज के साथ ही चरणनन्दन के चरणों के पास गिर गया। इतना कांड होने के बाद चरणनन्दन कुछ सोच पाता तब तक घर के अंदर से फटे ढोल सी आवाज उसके कानो से टकराई जो कुछ इस प्रकार थी " का रे आ गए तुम, तुमको कोनों ...और पढ़े
चरणनंदन का अभिनंदन - 2
चचा ने अपना वही जूता जो उन्होंने चरणनंदन को फेंक के मारा था, उसे जल्दी से लपक के ले ! और फिर क्या हुआ ?फिर उन्होंने ना आव देखा न ताव लगे चरणनंदन पर बरसाने वह इतने ज्यादा गुस्से में थे ! इस वक्त उन्हें अपने गुस्से के अलावा कुछ भी नजर नहीं आ रहा था ! इसीलिए उन्हें जो समझ आ रहा था उसी से वह चरणनंदन को मारे जा रहे थे! लात, (पैर ) हाथ, जूता इन सभी से ! और वहीं चरणनंदन लगातार दर्द से चिल्लाए जा रहा था ! "अरे चचा आज छोड़ दो हमको ...और पढ़े
चरणनंदन का अभिनंदन - 3
कुछ महीनों बाद......आज एक नया दिन था चरणनन्दन की जिंदगी में लेकिन ये महान आत्मा अभी तक बिस्तर पर कर सोये पड़े हैं।इनपर चचा की मार का कोई असर नहीं हुआ है। इनकी हरकत अब भी पहले जैसी ही है। बस अब थोड़ा पढ़ने लगे हैं चचा के डर से। चचा की बड़ी कोशिशों के बाद चरणनन्दन ने बिस्तर छोड़ और चल दिये स्कूल जाने के लिए तैयार होने। वैसे आप सब को तो पता ही है कि कई बार फेल होने के कारण अभी 12 वीं मे ही है, और 19 साल के है ये लेकिन मजाल है ...और पढ़े