राक्षसराज रावण - एक पराक्रमी भाई की कहानी

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यह कहानी है, मेरे भाई रावण की, जो एक अत्यंत पराक्रमी और अद्भुत राक्षससम्राट था। वेदो में वो प्रवीण था| रावण को जब भगवान शिव मिले थे, तब उसके मुख से एक गीत निकला पडा था, जिसमें भगवान शिव की शक्तियों की अद्भुतता का वर्णन उसने किया था। मेरा भाई रावण बहूत प्रतिभाशाली था| भगवान शिवने उसकी इस प्रतिभापर खुश हो के उसे कई सारी शक्तियाँ प्रदान की थी| जटाटवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्‌। डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिव: शिवम्‌ ॥१॥ हम भगवान ब्रह्माजीके ही वंशज थे| ब्रह्माजी के मानस पुत्र थे महर्षि पुलस्त्य| महर्षि पुलस्त्य के पुत्र का नाम था विश्रवा| विश्रवा ऋषि के हम तीन पुत्र थे, रावण, कुंभकर्ण और मैं | हम भाइयोंके के सिवा हमारी एक बहन भी थी, शूर्पणखा| रावण को अपनी बहन शूर्पणखासे बहुत लगाव था| हमारी माता का नाम था, कैकसी; वो एक राक्षस कुलसे थी| हमारे पिताजी की वो दूसरी पत्नी थी| उनकी पहली पत्नी थी इलाविडा और उसका पुत्र था, कुबेर जो हमारा सौतेला भाई था| जी हां, वही कुबेर जो धन के देवता कहे जाते हैं| वह धनपति था| कुबेर ने लंका पर राजकर ना केवल उसका विस्तार किया था बल्कि उसे सोने की नगरी में बदल दिया था| जिससे लंका के वैभव की चर्चा हर ओर होने लगी| कुबेर के पास ब्रह्माजी का दिया हुआ पुष्पक विमान भी था|

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राक्षसराज रावण - एक पराक्रमी भाई की कहानी - भाग 1

यह कहानी है, मेरे भाई रावण की, जो एक अत्यंत पराक्रमी और अद्भुत राक्षससम्राट था। वेदो में वो प्रवीण रावण को जब भगवान शिव मिले थे, तब उसके मुख से एक गीत निकला पडा था, जिसमें भगवान शिव की शक्तियों की अद्भुतता का वर्णन उसने किया था। मेरा भाई रावण बहूत प्रतिभाशाली था| भगवान शिवने उसकी इस प्रतिभापर खुश हो के उसे कई सारी शक्तियाँ प्रदान की थी| जटाटवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्‌। डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं चकारचण्डताण्डवं तनोतु नः शिव: शिवम्‌ ॥१॥ हम भगवान ब्रह्माजीके ही वंशज थे| ब्रह्माजी के मानस पुत्र थे महर्षि पुलस्त्य| महर्षि पुलस्त्य ...और पढ़े

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राक्षसराज रावण - एक पराक्रमी भाई की कहानी - भाग 2

रावण अब कुबेर से लंका जीतने की योजना बना रहा था। जब सुमाली को अपने पोते की स्थिति का चला, तो वे खुद रावण के पास आए और बोले, "रावण, तुम अकेले हो। यक्षराज हसूड भी कुबेर के साथ है।" रावण ने आत्मविश्वास से कहा, "कोई भी हो मेरे सामने, आग लगाऊंगा आग।" रावण, कुंभकर्ण और मैं सेना लेकर लंका की ओर निकल पड़े। रावण ने कहा, "चलो मेरे शेरो, कर दो कमाल।" हमने जोर से हमला करके कुबेर की सेना का खात्मा शुरू कर दिया। यक्षराज हसूड का सामना कुंभकर्ण से हुआ। कुंभकर्ण ने उसे जोर से ...और पढ़े

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