साक्षात्कार ….

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दिल्ली के पीयूष गोयल से खास बातचीत काम को अच्छी तरह करने के लिए उस में रस लेना चहिए और काम में रस आए इसके लिए काम आप की पसंद का होना चाहिए।जिन लोगों ने राष्ट्र, संस्कृति जैसे निर्माण के बड़े बडे़ काम किए है वे सभी तत्पर और जागृत कार्यकर्त्ता थे।जय जय कार के फेर में न पड़ कर अच्छे फल के लिए कोशिश करते रहें। पीयूष गोयल एक ऐसे किरदार है जो एक ख़ास तरह की कला के जरिए देश विदेश में नाम कमा रहे हैं। दर्पण छवि लेखन और सूक्ष्म वस्तुओं पर महाकाव्य उकेरने वाले श्री गोयल की कला निःसंदेह ईश्वरीय कृपा का प्रतिफल है। है।आज की बातचीत में डॉ दर्शनी प्रिय ने उनकी इस अनूठी कला के बारे में जानने की कोशिश की:

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साक्षात्कार …. - 1

दिल्ली के पीयूष गोयल से खास बातचीतकाम को अच्छी तरह करने के लिए उस में रस लेना चहिए और में रस आए इसके लिए काम आप की पसंद का होना चाहिए।जिन लोगों ने राष्ट्र, संस्कृति जैसे निर्माण के बड़े बडे़ काम किए है वे सभी तत्पर और जागृत कार्यकर्त्ता थे।जय जय कार के फेर में न पड़ कर अच्छे फल के लिए कोशिश करते रहें। पीयूष गोयल एक ऐसे किरदार है जो एक ख़ास तरह की कला के जरिए देश विदेश में नाम कमा रहे हैं। दर्पण छवि लेखन और सूक्ष्म वस्तुओं पर महाकाव्य उकेरने वाले श्री गोयल की ...और पढ़े

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1.अपने बारे में बताईए। मैं माता रविकांता गोयल ब पिता डॉ देवेंद्र कुमार गोयल के यहाँ १०.०२.१९६७ को पैदा एक मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ यांत्रिक अभियंता, दर्पण छवि लेखक, कार्टूनिस्ट, क्रिकेट अंपायर, दुनियाँ की पहली पुस्तक सुई से लिखने वाला और गणित के ३ पेपर इंटरनेशनल रिसर्च जर्नल में प्रकाशित,पीयूष गोयल दर्पण छवि के लेखक,पीयूष गोयल 1७ पुस्तकें दर्पण छवि में लिख चुके हैं,सबसे पहली पुस्तक( ग्रन्थ) "श्री भगवद्गीता"के सभी 18 अध्याय 700 श्लोक हिंदी व् इंग्लिश दोनों भाषाओं में लिखा हैं इसके अलावा पीयूष ने हरिवंश राय बच्चन जी द्वारा लिखित पुस्तक "मधुशाला"को सुई से लिखा हैं ...और पढ़े

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