मेरे खुशियों की वजह हो तुम....

(1)
  • 6.3k
  • 0
  • 2.8k

(परिचय- मैं इस कहानी को इस तरह लिख रहा हूं जैसे हम और हर कोई लिखना या जीना चाहता हो । प्यार, इश्क, मोहब्बत, यह सब हो बच्चो के लिए है, इस जमाने में प्यार वो नही जो आपको पहली नाराज में देख कर हो जाए प्यार तो वो है जिस के लिए हमारे दिल इज्जत हो, सम्मान हो, चार दिन की मोहब्बत तो कोई भी कर लेगा मगर जो आपका सम्मान करे आपको खुश रखे, खयाल रखे ऐसी ही जिंदगी को जीने के लिए हम उस इंसान को ढूंढते है, जिसे कह सके, मेरी खुशी की वजह हो तुम....!) वैशाली राने (उम्र 27, प्रोफेशन - डॉक्टर ) हमारे कहानी की हीरोइन जो प्यार से बोहत आगे निकल चुकी है, उसने जिंदगी में प्यार करने की कोशिश करी मगर उसे वो नही मिला जिसके लिए वो बनी है, पढ़ाई ने इजाजत दि नही और आज कामयाब डॉक्टर है, सरकारी अस्पताल में वो काम करती है, घरवालों ने कभी कहा नहीं, लगा अब खुद डॉक्टर बन गई है तो अपने जिंदगी के फैसले लही लेंगी। विक्रांत पाटिल (उम्र 24, प्रोफेशन - बिजनेसमैन ) विक्रांत हमारे कहानी के हीरो जिसने अपनी उम्र से ज्यादा सिख लिया है, परिवारों को जिम्मेदारियों में उसे इस काबिल बनाया है की आज वो बिजनेसमैन है, उसकी खुदकी ट्रैवल कंपनी है, जो ऑल ओवर द इंडिया चल रही है (mytravelcompany) इस नाम से उसने कंपनी खड़ी करी, शुरुवात में बिहार परेशानियां आई मगर उसने संभाल लिया । अब यह देखना है की डॉक्टर और बिजनेसमैन एक दूसरे को खुशी को वजह कैसे बनते है

1

मेरे खुशियों की वजह हो तुम.... - 1

मेरे खुशियों की वजह हो तुम....! Part 1(परिचय- मैं इस कहानी को इस तरह लिख रहा हूं जैसे हम हर कोई लिखना या जीना चाहता हो ।प्यार, इश्क, मोहब्बत, यह सब हो बच्चो के लिए है, इस जमाने में प्यार वो नही जो आपको पहली नाराज में देख कर हो जाए प्यार तो वो है जिस के लिए हमारे दिल इज्जत हो, सम्मान हो, चार दिन की मोहब्बत तो कोई भी कर लेगा मगर जो आपका सम्मान करे आपको खुश रखे, खयाल रखे ऐसी ही जिंदगी को जीने के लिए हम उस इंसान को ढूंढते है, जिसे कह सके, ...और पढ़े

2

मेरे खुशियों की वजह हो तुम.... - 2

मेरे खुशियों की वजह हो तुम....2(Note:- मैं कहानी ढूंढता रहा, इस कहानी के किरदार मेरे जहन में हमेशा रहते इस कहानी का दूसरा पार्ट आने में इतना वक्त इसलिए लग गया क्यू की में अपने निजी के मे व्यस्त था, कुछ कारणों के कारण कहानी अधूरी छूटती जा रही थी, में लिखता और वो मुझे उस किरदार को न्याय देने लायक वो हिस्सा खाली लग रहा था... तो कुछ वक्त तक मैने लिखना छोड़ दिया था। फिर एक दिन ऐसा आया कि मुझे उन किरदारों ने फिर आवाज लगाई...और कहने लगे कि हमें उन पन्नों पे फरसे आना है...)में ...और पढ़े

अन्य रसप्रद विकल्प