मंगला जैसे ही सुबह स्कूल पहुंची उसे स्टाफ रूम में एक महिला बैठी हुई दिखाई दी। ध्यान से देखने पर वह उसे पहचानते हुए बोली “तुम तो मंजू हो ना!” उसने भी हैरानी से मंगला की ओर देखते हुए कहा “हां पर तुम!” “अरे पहचाना नहीं? तुम्हारी स्कूल फ्रेंड मंगला।“ इतना सुनते ही दोनों खुश होते हुए एक दूसरे के गले लग गईं। मंजू ने हैरान होते हुए पूछा “पर तुम यहां कैसे?” मंगला ने कहा “अरे, मैं इस स्कूल में पढ़ाती हूं, लेकिन तू यहां कैसे मंजू!” “मैं भी आज से इस स्कूल में पढ़ाया करूंगी।“

Full Novel

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प्यार की निशानी - भाग-1

भाग-१मंगला जैसे ही सुबह स्कूल पहुंची उसे स्टाफ रूम में एक महिला बैठी हुई दिखाई दी। ध्यान से देखने वह उसे पहचानते हुए बोली “तुम तो मंजू हो ना!”उसने भी हैरानी से मंगला की ओर देखते हुए कहा “हां पर तुम!”“अरे पहचाना नहीं? तुम्हारी स्कूल फ्रेंड मंगला।“ इतना सुनते ही दोनों खुश होते हुए एक दूसरे के गले लग गईं।मंजू ने हैरान होते हुए पूछा “पर तुम यहां कैसे?”मंगला ने कहा “अरे, मैं इस स्कूल में पढ़ाती हूं, लेकिन तू यहां कैसे मंजू!”“मैं भी आज से इस स्कूल में पढ़ाया करूंगी।““मतलब?”“मतलब क्या बुद्धू!! मेरी स्कूल में आज जॉइनिंग है।““अरे ...और पढ़े

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प्यार की निशानी - भाग-2

भाग-२ धीरे धीरे जिंदगी पटरी पर आने लगी। मंजू अब फिर से स्कूल जाने लगी थी। वह अपने भाइयों भी पूरा ध्यान देती। जिसके कारण अब उसके भाइयों ने इधर उधर आवारागर्दी करने की बजाए अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू कर दिया था। मंजू के पापा जितना हो सकता, उतना काम खुद करते । मंजू की दादी व मंजू उनकी पूरी मदद करवाते। वह तो मंजू से मना भी करते। कहते “बेटा तू बस अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें। अपना सपना पूरा कर। मैं नहीं चाहता घर के कामों की वजह से तेरी पढ़ाई में किसी तरह की ...और पढ़े

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प्यार की निशानी - भाग-3

प्यार की निशानी भाग-3 रात को जब सब सो गए, मंजू बिस्तर में लेट कर बहुत देर तक सबसे आंसू बहाती रही। उसने अपने सपने को आंसुओं में बहा दिया और पक्का निश्चय कर लिया कि वह अपने पापा की इच्छा जरूर पूरी करेगी। मंगला व उसके परिवार को जब यह पता चला तो सभी बहुत हैरान हुए। मंगला को तो बहुत गुस्सा आया लेकिन उसके मम्मी पापा, मंजू के पिता के दिल की हालत समझते थे इसलिए उन्होंने बस इतना ही कहा “बेटा इसमें भी तेरा भला ही छुपा होगा क्योंकि मां बाप अपने बच्चों का कभी बुरा ...और पढ़े

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प्यार की निशानी - भाग-4

प्यार की निशानी भाग-42 दिन बाद मंजू पग फेरे के लिए अपने मायके आई। घर में उसे देख सबके खुशी से खिल उठे। दादी तो अपनी पोती की नजर उतारते नहीं थक रही थी और मंजू के पिता अपनी बेटी को बहुत ही प्यार से निहारते।आस पड़ोस के सभी लोग उससे मिलने व ससुराल के हाल चाल पूछने आए । सभी उत्सुक थे, उसके ससुराल के बारे में जानने के लिए!मंजू ने सभी के सामने अपनी सास व ससुराल की बहुत प्रशंसा की । सभी उसे आशीर्वाद दें विदा हुए। सबके जाने के बाद मंजू के पिता ने उससे ...और पढ़े

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प्यार की निशानी - भाग-5

प्यार की निशानी भाग-5 आज मंजू का पहला करवाचौथ था। उसने व्रत रखा हुआ था। समीर के ऑफिस निकलने समय उसकी मां ने उसे हिदायत देते हुए कहा “समीर, बहू ने तेरे लिए व्रत रखा है इसलिए समय से घर आ जाना। मैं नहीं चाहती उसे तेरे इंतजार में ज्यादा देर भूखा रहना पड़े। मैं तो उस पगली को मना कर रही थी कि क्या जरूरत है उस आदमी के लिए व्रत रखने की जिसके दिल में तेरे लिए कोई जगह ही नहीं। अपने पत्नी धर्म का वास्ता दें, उसने मुझे चुप करा दिया। तू भी थोड़ी मेरी इज्जत ...और पढ़े

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प्यार की निशानी - भाग-6

प्यार की निशानी भाग-6 मंजू के पिता की तबीयत अब ज्यादा सही ना रहती । हां उसके दोनों भाइयों अपनी पढ़ाई खत्म कर ली थी। और अपनी पढ़ाई के हिसाब से छोटी मोटी नौकरी भी करने लगे थे। जिससे घर का खर्च निकल रहा था। समय बीतता रहा। मंगला का कोर्स पूरा हो गया और उसकी नौकरी भी लग गई। नौकरी लगने के थोड़े दिनों बाद ही उसके माता-पिता ने उसकी शादी कर दी। मंजू उसकी शादी में गई थी। धीरे धीरे दोनों सहेलियां अपनी अपनी गृहस्थी में इतनी ज्यादा व्यस्त हो गई कि अब मिलना तो दूर फोन ...और पढ़े

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प्यार की निशानी - भाग-7 - अंतिम भाग

प्यार की निशानी अंतिम भाग मंजू ने यह बात अपनी सास को बताई तो वह भी सुन कर बहुत हुई “अरे वाह बहू, तेरी सहेली तुझे फिर से मिल गई। यह तो कमाल की बात है । चलो तुम्हें फिर से अपनी सखी का साथ मिल गया। अच्छा लगा सुनकर। “ अब तो दोनों परिवारों में खूब मेलजोल बढ़ गया था। मंगला का साथ पाकर मंजू फिर से खिल उठी थी। अपनी बहू को इतना खुश देख कर मंजू की सास भी कम खुश ना थी। आज मंगला का जन्मदिन था। स्कूल आते ही मंजू ने उसे गले लग ...और पढ़े

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