मेरी प्यारी त्रिधा,कैसी हो ? उम्मीद है पहले से बेहतर होगी। समझ नहीं आ रहा इतने सालों बाद क्या बोलूं, क्या लिखूं, क्या पूछूं...... तुम्हारा फोन नंबर, ईमेल, सोशल मीडिया अकाउंट सब बन्द हैं , आठ साल हो गए त्रिधा....... कब तक भागती रहोगी अपने ही लोगों से ? अगले हफ़्ते तुम्हारे प्रभात की शादी की पांचवी सालगिरह है। शादी में तो नहीं आईं त्रिधा अब तो आ जाओ , तुम ही तो कहती थी न कि प्रभात मैं कभी तुमसे मुंह नहीं मोडूंगी, तुम्हारे बच्चों के साथ मिलकर तुम्हें तंग किया करूंगी तो अब क्यों मुझे भुला दिया त्रिधा?

नए एपिसोड्स : : Every Monday

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त्रिधा - 1

मेरी प्यारी त्रिधा,कैसी हो ? उम्मीद है पहले से बेहतर होगी। समझ नहीं आ रहा इतने सालों बाद क्या क्या लिखूं, क्या पूछूं...... तुम्हारा फोन नंबर, ईमेल, सोशल मीडिया अकाउंट सब बन्द हैं , आठ साल हो गए त्रिधा....... कब तक भागती रहोगी अपने ही लोगों से ? अगले हफ़्ते तुम्हारे प्रभात की शादी की पांचवी सालगिरह है। शादी में तो नहीं आईं त्रिधा अब तो आ जाओ , तुम ही तो कहती थी न कि प्रभात मैं कभी तुमसे मुंह नहीं मोडूंगी, तुम्हारे बच्चों के साथ मिलकर तुम्हें तंग किया करूंगी तो अब क्यों मुझे भुला दिया त्रिधा? ...और पढ़े

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त्रिधा - 2

अगले दिन सुबह त्रिधा कॉलेज पहुंची तो फिर संध्या उसे लेकर कॉलेज के सेमिनार हॉल में पहुंच गई जहां उन्हें प्रभात और एक अन्य लड़का भी मिला।" तुम यहां कैसे ? " त्रिधा ने प्रभात से पूछा।" तुम यहां कैसे ? " प्रभात ने भी वही सवाल दोहरा दिया।" रैगिंग से बचने के लिए " त्रिधा ने मासूमियत से कहा।" तो मैं भी इसलिए ही यहां हूं " प्रभात ने कंधे उचकाते हुए कहा जैसे उसे त्रिधा से ऐसे बचकाने सवाल कि उम्मीद न हो।" ओह हां " त्रिधा ने अपने माथे पर हाथ मारते हुए कहा।" वैसे संगत ...और पढ़े

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त्रिधा - 3

अगले दिन त्रिधा कॉलेज के लिए तैयार होते वक़्त आइने में कुछ ज्यादा ही देर अपने अक्स को देखती वहीं माया के फोन में आज भी गाना चल रहा था - महबूब मेरे, महबूब मेरे महबूब मेरे, महबूब मेरे तू है तो दुनिया, कितनी हसीं हैजो तू नहीं तो, कुछ भी नहीं हैमहबूब मेरे, महबूब मेरे महबूब मेरे, महबूब मेरे...गाने के बोलों ने एक बार फिर त्रिधा को हर्षवर्धन के ख़यालों में उलझा दिया। आज त्रिधा ने हल्के पीले रंग का सूट पहना हुआ था जिसपर छोटे छोटे लाल फूल और चांदी के रंग के पत्ते बने हुए थे, कानों में पहने उसकी ...और पढ़े

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त्रिधा - 4

अगले दिन रविवार था और प्रभात सुबह से माया के फोन पर फोन कर कर के त्रिधा से मॉल के लिए ज़िद कर रहा था और त्रिधा की समझ से बाहर था कि आखिर प्रभात को अचानक हुआ क्या है इतने महीनों में तो कभी भी कॉलेज के अलावा कहीं जाने के लिए, मिलने के लिए ज़िद नहीं की फिर अचानक क्या हुआ। त्रिधा अभी सोच ही रही थी कि दोबारा फोन बजने लगा और माया उसके सामने आकर खड़ी हो गई और मुंह टेढ़ा करते हुए बोली " उसका इश्क़ चाय सा और तुम डायबिटीज की मरीज़ सी ...और पढ़े

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त्रिधा - 5

" ऐसा भी क्या हो गया माया ? " त्रिधा ने पूछा। " जब मैं राजीव से मिलने पहुंची उसने मुझे कहा कि अब वह...कि अब वह... " माया आगे न बोल सकी और फिर रोने लगी। एक बार फिर त्रिधा ने उसे चुप करवाया, उससे कुछ देर शांत होकर बैठने के लिए कहा और खुद जाकर कॉफी बना लाई फिर एक कप माया की ओर बढ़ाते हुए कहा " अपना दिमाग शांत करो माया और जो भी बात है मुझसे शेयर करो ताकि तुम्हारे मन पर कोई बोझ न रहे " माया, त्रिधा की बात समझ रही थी ...और पढ़े

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त्रिधा - 6

* अगले दिन कॉलेज में * " त्रिधा " संध्या त्रिधा को देखते ही चिल्ला पड़ी जिसे देखकर त्रिधा साथ कॉलेज आई माया समझ गई कि फिर कोई बवाल होने को है और उसने वहां से सीधे क्लास में जाने में ही अपनी भलाई समझी। " क्या है ? " त्रिधा ने सहज ही पूछा। " तू आज कल प्रभात के चक्कर में अपनी दूसरी दोस्त को भूलती नहीं जा रही ? " संध्या ने चिढ़कर कहा। " ऐसा नहीं है इस वक़्त उसे मेरी जरूरत थी बस इसीलिए और वैसे भी तुम मेरे लिए बहुत स्पेशल हो इतना ...और पढ़े

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त्रिधा - 7

त्रिधा अपने हॉस्टल पहुंची तो देखा सभी लड़कियां अपने अपने घर जाने की तैयारियां कर रही थीं। अब इम्तेहान हो चुके थे तो कोई भी हॉस्टल में नहीं रुकने वाला था। माया भी बहुत खुशी खुशी अपना सामान जमा रही थी और कपड़ों के आलावा उसका लगभग सारा समान वहीं था।"तुम यह सब यहीं छोड़ जाओगी ?" त्रिधा ने माया से पूछा।"हां त्रिधा, लौट कर तो यहीं आना है न।" कहकर माया मुस्कुरा दी।"अच्छे से जाना और अपना ध्यान रखना" त्रिधा ने माया को गले लगाते हुए कहा।"एक बात कहूं?" माया ने पूछा।"बोलो न माया।" त्रिधा ने मुस्कुराहट के ...और पढ़े

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त्रिधा - 8

त्रिधा कॉलेज कैंटीन में बैठी हुई थी मगर हर्षवर्धन की बात सुनकर वह वहां से उठकर बाहर की तरफ लगी थी तभी हर्षवर्धन ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और उससे कहने लगा - "आज तुम्हें मेरी बात सुननी ही होगी त्रिधा""क्या है हर्षवर्धन? तुम्हें भी बहुत अच्छे से पता है कि मुझे तुम्हारी कोई बात नहीं सुननी है फिर क्यों तुम जबरदस्ती मेरे आस पास रहने की कोशिश करते हो?" त्रिधा ने गुस्से में हर्षवर्धन से कहा। वह कभी किसी पर इतनी नाराज नहीं हुई थी। हर्षवर्धन हैरान रह गया।"हां मैं जबरदस्ती तुम्हारे आस पास रहने की ...और पढ़े

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त्रिधा - 9

प्रभात और हर्षवर्धन कॉलेज कैंपस में बने छोटे से गार्डन में बैठे हुए थे। "भाई तूने अपनी तो कर रखी है, जरा मेरे बारे में भी कुछ सोच, कुछ तो बता मैं आखिर त्रिधा को कैसे समझाऊं?" हर्षवर्धन ने परेशान होते हुए प्रभात से कहा। "अचानक क्या हुआ?" प्रभात ने हर्षवर्धन से पूछा क्योंकि कल तक तो उसे हर्षवर्धन बिल्कुल ठीक लग रहा था मगर आज उसके चेहरे को देखकर साफ पता चल रहा था कि वह कितना उदास है। "त्रिधा मुझसे प्यार नहीं करती।" हर्षवर्धन ने मुंह लटका कर कहा। "उसे थोड़ा वक्त दे हर्ष, हो सकता है ...और पढ़े

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त्रिधा - 10

संध्या अपने कमरे में बैठी हुई अपनी मार्कशीट और आज शाम पार्टी में मिले गिफ्ट्स को देख रही थी। तो अभी तक विश्वास नहीं हो रहा था कि उसने टॉप किया है। आज वह प्रभात से ढेर सारी बातें करना चाहती थी मगर इस समय वह त्रिधा को उसके हॉस्टल तक छोड़ने गया होगा यही सोचकर वह कुछ देर और इंतजार कर रही थी कि जब प्रभात त्रिधा को छोड़ आएगा तब वह उससे फोन पर बात करेगी। संध्या ने अपने सारे गिफ्ट्स खोल खोल कर देखे। सबसे पहले त्रिधा का दिया हुआ टेडी बेयर, फिर उसकी ही दी ...और पढ़े

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त्रिधा - 11

"वैसे वर्षा शायद उतनी बुरी भी नहीं है।" प्रभात की बोली हुई वह लाइन आज तक त्रिधा के कानों गूंजती थी। दरवाजे पर लगातार दस्तक होने से त्रिधा अपने कॉलेज के जीवन की यादों से वर्तमान में लौट कर आई। त्रिधा ने अपने आंसू पोंछे और कमरे से निकलकर दरवाजा खोला। सामने उसका भाई विशाल अपनी पत्नी मान्यता के साथ खड़ा हुआ था। त्रिधा ने अपने आप को सामान्य सामान्य रखने का भरसक प्रयास करते हुए कहा - "कितनी देर लगा दी तुम दोनों ने, आओ बैठो मैं चाय बना देती हूं।"मान्यता ने आगे बढ़कर त्रिधा को बैठाया और बोली - ...और पढ़े

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त्रिधा - 12

रात को इस समय भला कौन आया होगा! सोचते हुए त्रिधा ने जैसे ही दरवाजा खोला सामने खड़े व्यक्ति देखकर वह हैरान रह गई। कुछ पलों के लिए तो उसे समझ ही नहीं आया कि वह वाकई नींद में नहीं है। त्रिधा के सामने उसकी रोशनी मैडम खड़ी थीं। वह भागकर उनके गले लग गई और बहुत देर तक रोती रही। कुछ देर बाद जब वह संयत हुई तब उसने मैडम से पूछा - "मैडम आप यहां कैसे?" तब रोशनी मैडम ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा - "अब अपनी बेटी से मिलने आने से पहले भी ...और पढ़े

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त्रिधा - 13

शाम को त्रिधा बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपने हॉस्टल के लिए लौट रही थी कि तभी उसने कुछ ऐसा जिसे देखकर वह हैरान रह गई। दरअसल त्रिधा ने वर्षा को मेन मार्केट में मजे से शॉपिंग करते हुए देख लिया था और यही देखकर वह हैरान रह गई थी। उसे याद आया प्रभात कह रहा था कि वर्षा का एक्सीडेंट हुआ है और उसे चोटें आई थी, वह उसे हॉस्पिटल में मिली थी मगर यहां तो वर्षा बिल्कुल ठीक लग रही थी, कहीं किसी चोट का कोई नामो निशान तक नहीं था। त्रिधा ने तुरंत अपना मोबाइल निकाला और ...और पढ़े

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त्रिधा - 14

सभी की परीक्षाएं शुरू होने में अब ज्यादा समय नहीं बचा था इसीलिए कॉलेज की भी छुट्टियां हो गई ताकि सब अपनी अपनी पढ़ाई कर सकें। त्रिधा अब हर्षवर्धन, प्रभात या संध्या किसी से भी नहीं मिलती थी क्योंकि अब सिर्फ उसे अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना था। हालांकि पढ़ाई के अलावा जब भी त्रिधा कोई भी काम कर रही होती तब उसे हर वक्त प्रभात की कही बातें याद आतीं। जब प्रभात कह रहा था कि उसे शर्म आती है त्रिधा को अपनी दोस्त कहते हुए। बस वही एक बात हर वक्त त्रिधा के कानों में गूंजती रहती ...और पढ़े

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त्रिधा - 15

माया को आशीष जी के साथ भेजकर त्रिधा भी अपना हैंड बैग उठाकर वापस हॉस्टल की तरफ लौट रही और तभी दो हाथों ने पीछे से आकर उसकी आंखें बंद कर ली त्रिधा ने तुरंत उन हाथों को अपनी आंखों से हटाया और पीछे पलट कर देखा तो सामने संध्या खड़ी थी और जोर जोर से हंस रही थी त्रिधा ने संध्या को घूर कर देखा और बोली - "तुमने तो मुझे डरा ही दिया था… तुम यहां पर क्या कर रही हो?" संध्या हंसते हुए बोली - "चलो आंखिर मैंने तुम्हें डराया तो सही! तुम किसी से तो डरती ...और पढ़े

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