दूर पहाड़ों के पीछे डूबता सूरज, आसमान में फैली लाली, ख़ूबसूरत वादियों को धीमे-धीमे से आगोश में लेता शाम का धुंधलका और बदन को सिहराने वाली ठंडी हवा; ये सारे हसीन मंज़र उसके नज़रिए से ग़मगीन से थे। अपने अंदर के दर्द को आज तक अपने सीने में समेटे रखने में उसे कभी इतनी तकलीफ़ नहीं हुई जितनी आज अपनी खुशी के लिए एक फ़ैसला लेने में हो रही थी। शमा ने अपनी कलाई घड़ी पर नज़र डाली, 6:45 बज रहे थे। अँधेरा होने को था। बालकनी का दरवाज़ा बंद करके वो सीधी किचन में गई और अपने लिए गर्म चाय बनाई, सोचा चाय पीकर कुछ देर आराम करेगी लेकिन चाय के पहले घूँट के साथ ही उसके विचारों की श्रृंखला सात साल पीछे लौट गई जहां 20 साल की हँसती-खेलती शमा अपनी सहेलियों के साथ अव्वल दर्जे से बीए पास करने की खुशी मना रही थी।

नए एपिसोड्स : : Every Monday

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हमेशा-हमेशा - 1

दूर पहाड़ों के पीछे डूबता सूरज, आसमान में फैली लाली, ख़ूबसूरत वादियों को धीमे-धीमे से आगोश में लेता शाम धुंधलका और बदन को सिहराने वाली ठंडी हवा; ये सारे हसीन मंज़र उसके नज़रिए से ग़मगीन से थे। अपने अंदर के दर्द को आज तक अपने सीने में समेटे रखने में उसे कभी इतनी तकलीफ़ नहीं हुई जितनी आज अपनी खुशी के लिए एक फ़ैसला लेने में हो रही थी। शमा ने अपनी कलाई घड़ी पर नज़र डाली, 6:45 बज रहे थे। अँधेरा होने को था। बालकनी का दरवाज़ा बंद करके वो सीधी किचन में गई और अपने लिए गर्म ...और पढ़े

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हमेशा-हमेशा - 2

शादी का दिन आया। शादी भी हुई और शमा रुख़सत भी हुई। अपनी मासूम आँखों में, रंगीन सपने सजाये, जोड़े में गुड़िया सी सजी शमा "अपने घर" चली गयी। शादी की पहली रात को फ़राज़ के इंतज़ार में बैठी शमा को रह-रह कर अकरम याद आने लगा। अपने सर को झटक कर उसने तौबा की और अपने दिल में शर्मिंदा हो, दुआ मांगी कि वो एक नेक और अच्छी बीवी साबित हो। न चाहते हुए भी कुछ आंसू आँखों में झिलमिला गये। सजदे में बैठी, रोती शमा कब कालीन पर ही सो गयी, उसे खुद पता नहीं चला। सुबह ...और पढ़े

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हमेशा-हमेशा - 3

अब्बू के साथ घर पहुँची शमा किसी मशीन की तरह अम्मी से मिली और सीधे अपने कमरे में चली 'उसे अपने अतीत के हादसों से उबरने के लिए कुछ वक़्त चाहिए' ऐसा सोचते-सोचते जब काफ़ी वक़्त बीत गया और शमा की चुप्पी नहीं टूटी तो कुरैशी साहब ने शिमला में बस चुके अपने दोस्त को बुलाने का सोचा। उन्होंने पूजा को फ़ोन किया और सब कुछ बताकर इल्तिजा की कि वो अपने पिता के साथ जल्द लखनऊ आ जाए। अपने दोस्त का मैसेज मिलते ही अग्रवाल साहब ने टिकट्स बुक किए और एयरपोर्ट पहुँच गये। जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट से लखनऊ ...और पढ़े

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हमेशा-हमेशा - 4

शिमला की ख़ूबसूरती और बदली आबोहवा के साथ, पूजा की दोस्ती ने शमा को कुछ ही हफ़्तों में बेहतर दिया। उसके कॉन्फिडेंस और मानसिक स्वास्थ्य का ख़याल मानव बखूबी रख ही रहा था। पूजा के साथ साथ मानव से भी बहुत घुल मिल गयी शमा। अब वो डॉक्टर कम दोस्त ज़्यादा था। मानव के समझाने पर सिर्फ़ किताबों में खोयी न रहकर, इन दिनों वो शाम को वॉक पर भी जाने लगी। गर्मियों के दिन थे पर पहाड़ पर वो भी दिलकश लगते थे। पहली बार गर्मी में लखनऊ वाली तल्ख़ी नहीं थी। शमा सुबह बीएड कॉलेज जाने लगी ...और पढ़े

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हमेशा-हमेशा - 5

पूरा हफ़्ता स्कूल के काम-काज में कैसे गुज़र गया, शमा को पता ही नहीं चला। एग्ज़ाम हो कर हटे रिज़ल्ट और पैरेंट टीचर मीटिंग में वक़्त कैसे गुज़रा, उसे कुछ पता ही नहीं चला। आज संडे था। शमा ने सोचा था कि पूरे हफ़्ते की नींद आज पूरी करेगी। गहरी नींद में बिस्तर पर सोई शमा की नींद लगातार बज रही मोबाइल फोन की रिंगटोन से खुली। अनमने ढंग से शमा ने फोन उठाया और कान पर लगा लिया। "हैलो मैडम!" उधर से मानव की उत्साह से लबरेज़ आवाज़ सुनाई दी। शमा के चेहरे पर नींद टूटने की खीझ ...और पढ़े

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हमेशा-हमेशा - 6

उधर अपने अपार्टमेंट में पहुँचकर शमा ने दरवाज़ा बंद किया और सोफ़े पर बेजान सी लुढ़क गयी। गालों पर गर्म आंसू उसके सीने में धधकते ज्वालामुखी को और भड़का रहे थे। उसे ख़ुद पर बेहद गुस्सा भी आ रहा था और अपने हाल पर दया भी आ रही थी। आज जाने क्यों उसे अपनी ही फीलिंग्स समझ नहीं आ रहीं थीं। आज इतने सालों बाद अकरम को अपने सामने पाया। वो बढ़कर अकरम को गले लगाना चाहती थी पर जब वो आगे बढ़ा तो न जाने क्यों उसे रोक दिया। और अब ये क्यों ही उसे परशान किये जा ...और पढ़े

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हमेशा-हमेशा - 7

सब राज़ी हैं। अम्मी के अल्फ़ाज़ शमा के कानों में गूँज रहे थे। यही तो उसका डर था कि न हुए तो? पर ऐसा नहीं है। शमा ने अपनी कलाई घड़ी पर नज़र डाली, 6:45 बज रहे थे। अँधेरा होने को था। उसे याद आया सुबह जल्दी में वो बॉलकनी का दरवाज़ा खुला छोड़कर चली गयी थी। बॉलकनी का दरवाज़ा बंद करके वो सीधी किचन में गई और अपने लिए गर्म चाय बनायी। चाय के हर घूँट के साथ पिछली ज़िन्दगी उसके सामने तस्वीरों सी चलती रही। अचानक उसे पता नहीं क्या हुआ कि दौड़कर बॉलकनी में गयी और ...और पढ़े

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