सुनसान् रास्ते के पास एक आदमी गाडी ले के खडा था।चेहेरा उदास था। आखों में आशुं नहीं था, पर दील में चोट था। मुहँ लटका के खडा था सायद कुछ सोच रहा हो। तभी उसी रास्ते पर उसका दोस्त निकला। दोस्त का नजर उस पर पडा। गाडी रोक के पास आया। पुछा आरे तु तो आज जल्द घर जानेबाला था ना फिर यहां कैसे ? उसने कुछ जवाब नहीं दिआ। दोस्त को झट से गले लगा लिया और रोने लगा। दोस्त:- भाई क्या हुआ है ? तु रो क्यु रहा है ? कोइ problem है तो बता। आदमी:- क्या बताऊँ तुझे ?

Full Novel

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अनमोल रिश्ते (Part-1)

सुनसान् रास्ते के पास एक आदमी गाडी ले के खडा था।चेहेरा उदास था। आखों में आशुं नहीं था, पर में चोट था। मुहँ लटका के खडा था सायद कुछ सोच रहा हो। तभी उसी रास्ते पर उसका दोस्त निकला। दोस्त का नजर उस पर पडा। गाडी रोक के पास आया। पुछा आरे तु तो आज जल्द घर जानेबाला था ना फिर यहां कैसे ? उसने कुछ जवाब नहीं दिआ। दोस्त को झट से गले लगा लिया और रोने लगा। दोस्त:- भाई क्या हुआ है ? तु रो क्यु रहा है ? कोइ problem है तो बता। आदमी:- क्या बताऊँ तुझे ? ...और पढ़े

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अनमोल रिश्ते (Part-2)

आदमी:- तु किस के site में बोल रहा है भाई ? तु मेरा दोस्त है या उसकी ? माना की में अनजान हुं पहचान नहीं, पर भाई में इनसान हुं कोई जानवर नहीं । दुनियां देखा है मेने कोई अन्धा नहीं, ...और पढ़े

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अनमोल रिश्ते (Part-3) - अंतिम भाग

इस अनमोल रिस्ते की part-1, part-2 तो पेहले आप लोग पढलीये होगें । अब में इस रिस्ते का आखीर लीखने जा रही हुं । इसके बाद ये कहानी complete हो जायेगी । जब में ये कहानी रिस्तों के उपर लीख रही हुं तो क्युं ना में रिस्तों के बारे में एक दो लाइन बोल दुँ । तो अब में रिस्तों के बारे में कुछ लब्ज केहना चाहुंगी । रिस्ते बहत नाजुक होते हैं । इसलिए मेरी हिसाब से रिस्ता कोई भी हो पर उसे बहत अच्छे से निभाना चाहीये । चलो रिस्तों की खातीरदारी बहत हुई अब ...और पढ़े

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