अपनी सीट पर बैठते ही संजना की नज़र मेज पर रखे लिफाफे पर पड़ी थी।उसने लिफाफा हाथ मे लेकर उलट पलट कर देखा।उस पर उसका नाम तो था।लेकिन भेजने वाले का नही।किसने भेजा है?क्यो भेजा है?क्या लिखा है, उसमे?यह जानने की उत्सुकता उसके मन मे बलवती हो उठी।वह लिफाफा खोलती उससे पहले कंपनी के हेड ऑफिस से फोन आ गया।उसने लिफाफा एक तरफ रखा और फोन उठा लिया।उसके बाद काम का सिलसिला शुरू हुआ,तो पता ही नही चला।कब लंच का समय हो गया।काम से राहत मिलने पर उसने धीरज की सीट की तरफ देखा था।धीरज की सीट खाली देखकर उसे

Full Novel

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दस्तक - (भाग1)

अपनी सीट पर बैठते ही संजना की नज़र मेज पर रखे लिफाफे पर पड़ी थी।उसने लिफाफा हाथ मे लेकर पलट कर देखा।उस पर उसका नाम तो था।लेकिन भेजने वाले का नही।किसने भेजा है?क्यो भेजा है?क्या लिखा है, उसमे?यह जानने की उत्सुकता उसके मन मे बलवती हो उठी।वह लिफाफा खोलती उससे पहले कंपनी के हेड ऑफिस से फोन आ गया।उसने लिफाफा एक तरफ रखा और फोन उठा लिया।उसके बाद काम का सिलसिला शुरू हुआ,तो पता ही नही चला।कब लंच का समय हो गया।काम से राहत मिलने पर उसने धीरज की सीट की तरफ देखा था।धीरज की सीट खाली देखकर उसे ...और पढ़े

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दस्तक - (भाग 2)

"हॉ।कहो।""धीरज,मैं तुम्हे चाहनेे- - - अपने प्यार का इजहार करते संंजना बोली,"मैं तुम्हें अपना बनाना चाहती हूू।तुमसे शादी करना चाहती हूं।""हमारे यहाँ शादी का फैसला माता पिताकरते है," संजना की इच्छा जानकर धीरज बोला,"मुझे शादी से इनकार नहीं लेकिन बिना उनकी मर्जी में शादी नही कर पाऊंगा।""मैं भी नही चाहती माता पिता के आशीर्वाद के बिना हम शादी करे।लेकिन उन्हें पता कैसे चलेगा?जब तक तुम उन्हें मेरे बारे मे नही बताओगे।""सही कह रही हो,"संजना की बात का समर्थन करते हुए बोला,"गांव जाऊंगा तब पिता से बात जरूर करूँगा।"धीरज के उत्तर से सन्तुष्ठ होते हुए संजना बोली,"हमारी शादी में ...और पढ़े

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दस्तक - (अंतिम भाग)

माँ का पत्र पढ़कर वह सोचने लगा।बेटा होने के नाते उसका माँ बाप के प्रति फ़र्ज़ था।भाई के नाते के प्रति भी जिम्मेदारी थी।काफी देर तक सोच विचार करने के बाद उसने मन ही मन में निर्णय लिया।और फिर संजना के नाम एक पत्र लिखने बैठ गया।उसने उस पत्र को संजना की मेज पर रख दिया।उसने आफिस में भी किसी को कुछ नही बताया।संजना गांव से लौटी तब उसे यह पत्र मिला था।सुुुबह वह इस पत्र को नही पढ़ पायी थी।लेकिन लंच में उसने लिफाफा खोलकर पढ़ने लगी।प्रिय संजना,माँ का पत्र मुझे आज ही मिला।मैने अपने बारे में बताते ...और पढ़े

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