मुर्दे की जान खतरे में

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अशोक विहार की कोठी में जब मैंने कदम रखा तो उस समय बंसल साहब की लाश ड्राइंग रूम में बिलकुल बीचोंबीच पड़ी हुई थी। पुलिस की फोरेंसिक टीम अपने काम में लगी हुई थी और फोटोग्राफर लाश के विभिन्न एंगल से फोटो लेने में लगा हुआ था। मै अभी लाश की तरफ बढ़ ही रहा था कि एक पुलिसिये ने मेरा रास्ता रोक दिया। वो सब इंस्पेक्टर चौहान था जो पता नही क्यों मुझ से कुछ ज्यादा ही खुंदक खाता था। "तुम्हे क्या घर बैठे लाश की स्मेल आ जाती है क्या जो हर जगह पहुंच जाते हो अपनी टांग

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मुर्दे की जान खतरे में - 1

अशोक विहार की कोठी में जब मैंने कदम रखा तो उस समय बंसल साहब की लाश ड्राइंग रूम में बीचोंबीच पड़ी हुई थी। पुलिस की फोरेंसिक टीम अपने काम में लगी हुई थी और फोटोग्राफर लाश के विभिन्न एंगल से फोटो लेने में लगा हुआ था। मै अभी लाश की तरफ बढ़ ही रहा था कि एक पुलिसिये ने मेरा रास्ता रोक दिया। वो सब इंस्पेक्टर चौहान था जो पता नही क्यों मुझ से कुछ ज्यादा ही खुंदक खाता था। तुम्हे क्या घर बैठे लाश की स्मेल आ जाती है क्या जो हर जगह पहुंच जाते हो अपनी टांग ...और पढ़े

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मुर्दे की जान ख़तरे में - 2

जब मै इंस्पेक्टर शर्मा के पास थाने पहुंचा तब शाम के 7 बज चुके थे। अशोक बंसल की हत्या दिन भर की दुश्वारियो से निपट कर शर्मा जी बस अपने रूम में बैठे ही थे की मै उनके पास पहुंच गया।शर्मा जी मुझे देखकर मुस्कराए। "आ गए! सबसे पहले ये बताओ इस केस में तुम्हे किसी फैमिली मेंबर ने तुम्हे हायर किया है क्या या वैसे ही धक्के खा रहे हो। "शर्मा जी हायर भी कोई ना कोई कर ही लेगा,पहले इस केस में घुसू तो सही,पता तो लगे इस खेल में खिलाड़ी कौन कौन है फिर कोई न ...और पढ़े

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