ज्यों फेन से सराबोर समंदर की लहर हुलसकर तट तक जाती है और सब कुछ समर्पित कर बौखलाई-सी लौट आती है, रन्नी भी लौट आई यूसुफ और अपने प्यार की निशानी को खुरच-खुरच कर निकलवा तो दिया पर मन से क्या खुरचने के दाग़ गए? क्यों रन्नी के साथ ही ऐसा होता आया है? हर ओर शिकस्त, ज़िन्दगी की हर बाजी शह और मात से लबरेज?.....कहीं तो अल्लाह एक किरण रोशनी की उसे भी सौंपता? जाकिर भाई के घर से चाबी लेकर रन्नी ने घर का दरवाज़ा खोला नूरा साथ आया था