बरसता-सावन

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लेकिन मैं प्रत्यक्ष में लगभग सब कुछ भूलकर भी कुछ नहीं भूल पायी थी।... और बरसते हुए सावन को तो कभी भूल ही नहीं पाई थी। जब जब पानी बरसता, घंटो भीगती रहती। ऐसे में अक्सर कभी कभी सागर भी घर पर ही होता लेकिन उसने कभी मुझे रोका नहीं। बस खड़ा खड़ा मुझे देखता रहता क्यूंकि उसे भी बरसात अच्छी नहीं लगती थी लेकिन उसने कभी मुझे रोकने की कोशिश क्यूँ नहीं की... क्यों ......