त्रिया चरित्तर

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स्त्रियों के प्रपंची स्वभाव का विश्लेषण करने वाली रचना. आपसी राग- द्वेष एवं पारिवारिक झगड़ों में फंसी स्त्रियों की, बनी बनाई लीक से हटकर, चलने का प्रयत्न करती हुई नायिका किन्तु अपनी उस कोशिश के बावजूद , वह त्रिया -चरित्तर का ताना सहने पर मजबूर है.