अनजाने लक्ष्य की यात्रा पे -4

(13)
  • 7.8k
  • 2
  • 3.1k

जो इसके पहले तीन भाग पढ़ चुके हैं, आगे पढ़ें_ _ _ लेकिन यह क्या … अचानक मेरे रोंगटे खड़े होगये । उस पहाड़ के ऊपर एक दैत्य की सी आकृति उभर आई । वह धीरे धीरे ऊपर की ओर बढ़ रहा था । ऊपर पहुंच कर वह रुका और निश्चल खड़ा हो गया । प्रकाश उसके पीछे होने के कारण वह सिर्फ़ एक छाया सा प्रतीत हो रहा था । उसका लम्बा कद और चौड़े कंधे और बेतरतीब बिखरे हुये बालों वाला उसका सर देखकर मै बुरी तरह घबरा गया । मुझे लगा वह मेरी ही तरफ़ देख रहा है । उसकी अदृश्य आंखे मुझे ही घूर रही हैं । मै एक चट्टान के पीछे छिप गया । वह साया धीरे-धीरे अन्धेरे मे विलीन हो गया ।