वायुसेना अस्पताल के ऑफिसर्स वार्ड की पूरब की ओर खुलने वाली खिड़की से बाहर झांकते हुए उसने महसूस किया कि उसका सर बहुत भारी हो रहा था. इसके पहले पूरे अडतालीस घंटों तक चले सीडेशन से अंग- अंग में व्याप्त भयंकर पीड़ा काफी हद तक कम हो गयी थी. फिर भी सन 2031 की उस सुहानी सुबह की ताज़गी उसे छू नहीं पा रही थी. पिछली शाम होश में आने के बाद उसके बहुत आग्रह करने पर डॉक्टर ने जबरन सुला देने का तारतम्य रोक दिया था.