उसकी लिखावट भी अच्छी नहीं थी. इसलिये उन्हें पूरा यकीन था कि वह बोर्ड परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो सकता. वैसी स्थिति में वह नहीं चाहते थे कि विद्यालय का कोई छात्र समिति द्वारा आयोजित परीक्षा में अनुत्तीर्ण होकर विद्यालय की साख पर धब्बा बने.