आइना _सच_नहीं_बोलता

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माँ और सासू माँ के बीच बैठी नंदिनी सोचती रही थी इस भरे पूरे संसार में अपना मोल. यदि दिवित ना होता तो शायद उसके ससुराल में भी उसके लिए कोई जगह ना होती. वो सिर्फ़ एक अदद वारिस की माँ है. उसकी इस भरी-पूरी दुनिया में बस यही पहचान है. अपमान और कुंठा से उसका मन रुंध गया. अनायास ही वह सिल्विया से अपना मेल बिठाने लगी. सिल्विया अपने प्रेयस की प्रिया, उसकी संतान की माँ होने के अलावा एक पढ़ी-लिखी नौकरियाफ़्ता स्वतंत्र वजूद की मलिका भी थी. तो क्या दीपक को यही बात उसके पास वापस खींच ले गयी थी उसने तो बचपन से सर झुका कर बस समर्पण करना ही सीखा था. उससे तो यही कहा गया था कि उसके सुख के द्वार इसी रास्ते पड़ेंगे. फिर कब कहाँ क्या ग़लत हो गया