यह कहानी एक लेखक और पाठक के सम्बन्धो की कहानी है लेखक भले ही लिखता है पाठक के लिए परन्तु उसके दिल के मर्म को नहीं समझ पाता है और जब तक समझता तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और वह बुदबुदा उठता है -तुम कब आओगे