ख्वाबों कि क़ीमत - 2

(91)
  • 12.1k
  • 13
  • 3.1k

“मेरा सामान.. मेरा कमरा” ये लफ्ज़ बार बार अवनि के दिल पर घूंसा बन कर लग रहे थे, क्या उसका कुछ भी नही.. उसे यूँ महसूस हुआ कि सौरभ भी उसका नही, अचानक सब पराया सा लगने लगा.. ये घर, ये सामान, ये मोहब्बत, खुद उसका पति सौरभ भी... Khushi Saifi